रिश्वत लेना और देना दोनो अपराध हैं तो फिर लेने वाले ही दोषी क्यों,,???
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
रिश्वत लेने और देने दोनों को ही अपराध की श्रेणी में लाने वाले 'भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक 2018' को लोकसभा में भी पास हो गया था.
'भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक 1988' के कई प्रावधानों में संशोधन के लिए 19 अगस्त 2013 को राज्यसभा में यह विधेयक पेश किया गया था. तब राज्यसभा से इस विधेयक को छानबीन संबंधी संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया था. फिर स्थायी समिति की रिपोर्ट मिलने पर इसे राज्यसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया गयथा. इसके बाद प्रवर समिति ने 12 अगस्त 2016 को इस पर अपनी रिपोर्ट पेश की थी ।
इस संबंध में अवैध खनन माफियायो का कहना है कि तमाम लोगों को रिश्वत देने की विडिओ हमारे पास है तो क्यों,,, क्यों दे रहे थे वे रिश्वत कौन सा जन या राष्ट्र विरोधी कार्य कर रहे थे वे, तमाम सवालों के जवाब न्यायालय को देना मुश्किल होगा,, लेकिन गलत कार्य में लिप्त लोग कुछ भी कह सकते हैं, वो तो यहां तक कह रहे हैं कि साहब ने कहा है कि जो भी खिलाफ समाचार निकाले उसे ढंग से पिटाई कर के फिर लाओ लेकिन कौन कह रहा है और क्यों,, यह भी तो सवाल है,, क्यो कि अपना उल्लू सीधा करने हेतु कोई भी कुछ भी झूठ भी तो बोल सकता है,, लेकिन सच तो एक दिन सामने आता ही है,,,
इस संबंध में हाई कोर्ट के एक अधिवक्ता का कहना है कि यह कानून पूरी तरह से सत्य है रिश्वत लेने और देने वाले दोनो अपराध की श्रेणी में आते हैं,, लेकिन ज्यादातर देखने को मिलता है रिश्वत देने वाले ही को पीड़ित मान लिया जाता है ,, जबकि रिश्वत के लेन देन से यदि किसी तीसरे व्यक्ति को परेशानी होती है तो वह शिकायत कर दोनों के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करवा सकता है,,
या फिर रिश्वत देने वाले का कारण स्पष्ट होना चाहिए,, कि वह किन हालातों में रिश्वत दे रहा है,, या जब भी दी है तो क्यों,,,?
ये तमाम बाते हमारे भारतीय संविधान में मौजूद हैं फिर भी न जाने क्यों इन पर गौर नहीं किया जाता,,
याद रखिए,,,
समाचारों के प्रकाशन को लेकर प्रतिशोध की भावना अवसाद किसी भी तरह की अवैधानिक प्रतिक्रिया भारतीय संविधान के अनुसार मीडिया की स्वतंत्रता बाधित करने की प्रतिक्रिया को दर्शाती है,,,,
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