योग क्या है क्या आप जानते हैं,, नहीं तो पढ़िए पूरी खबर,,,।
संपादक शिवाकांत पाठक।
योग भारतीय संस्कृति की संसार के लिए अनुपम देन है। योग का अर्थ है-जुड़ना ना कि उछल कूद कर के नौटंकी दिखा कर अपना मकसद हल करना,, अपनी दुकानें चलाना,,, योग का अर्थ है भीतर की शक्ति से जुड़ना भीतर की शक्ति वह जिसे हम नही जानते जिस शक्ति से हम बोलते हैं देखते हैं, चलते हैं,, सांस लेते हैं। मन और बुद्धि को चिन्मयी-सत्ता से जोड़ना। योग ऋषियों से प्रवर्तित अनादि परंपरा है, जिसका इतिहास किसी से पूछने की जरूरत नहीं वल्कि सनातन धर्म है। योग सिर्फ शारीरिक या मानसिक लाभ के लिए शरीर को हिलाने-डुलाने की प्रक्रिया नहीं है। यह स्वयं को जागृत करने का मार्ग है। योग स्व-शासन की वैज्ञानिक कला है। यह आसन और प्राणायाम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि योग उन पद्धतियों की शिक्षा देता है, जिनका अभ्यास मनुष्य के व्यक्तित्व को सुंदरता प्रदान करता है,, आज आप देखते हैं कि योग दिवस के दिन जगह जगह योग के आयोजन संपन्न होते हैं, लेकिन क्या उससे किसी को लाभ हुआ,, क्यो कि योग का अर्थ ही जब हम नहीं जानते तो फिर योग करेगे कैसे,, योग तो आत्मा से उस परम पिता परमेश्वर को जोड़ने का विज्ञान है जिसे महर्षि पतंजलि द्वारा संचालित किया गया इससे पहले पितामह ब्रम्हा ने सूर्य को बताया और सूर्य ने मनु को बताया,, यह योग का हमारा इतिहास है,, हम अपनें मन को शांत करने उसे पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए जिस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं वह योग है,, योग अर्थात जोड़ना,, आत्मा से परमात्मा को,, और हम योग को कसरत समझ बैठे,, प्राचीन काल में जो योगी थे क्या आप जानतें हैं वे कौन से,, योगी राज जनक,, वे कोइ भी व्यायाम नहीं करते थे,, वल्कि वे स्वयं को जानते थे,, स्वयं को जानना अपनें भीतर की यात्रा करना योग है क्यों कि आत्मा और परमात्मा के बीच दूरी को समाप्त करने का विज्ञान है योग,,,
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