यदि कोई धनवान है तो यह पूर्व कृत कर्मों की पूंजी है लेकिन आगे,,,, क्या होगा,,? स.संपादक शिवाकांत पाठक।
आप सभी लोग सोचते हैं कि वह व्यक्ति कोई भी अच्छा कर्म नहीं कर रहा है हमेशा बुरे कर्म करता है लेकिन बहुत ही धनवान है,, इसका मतलब यह है कि ईश्वर बुरे कर्म करने वाले को सुख देता है,,? किंचित नहीं,, अपितु यह सोचना अल्प ज्ञान का प्रमाण है,,
चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मानव जीवन सौभाग्य से प्राप्त होता है,, अब आप सोचेंगे कि पिछले जन्म में तो हम मनुष्य नहीं थे फिर अच्छे कर्म कैसे हो सकते हैं,,? हो सकते हैं क्यों कि प्रत्येक जीवात्मा कर्म करने के लिए स्वतंत्र है और कर्म प्रधान है ,, अच्छे बुरे कर्म सभी जीव करते हैं,,,
धनवान लोग पूर्व कृत कर्मों के फल स्वरूप धनवान होते हैं लेकिन अहंकार वश वे,, आने वाले जन्म के लिए अच्छे कर्म नहीं कर पाते और अन्त समय में उन्हे यह सोच कर बहुत कष्ट होता है कि मैंने मानव जन्म पाकर भी बार बार जन्म लेने से छुटकारा नहीं पा पाया,, प्राण वायु निकलते समय उन्हे बेहद पीड़ा का अनुभव होता है,, यह बात हमारे धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है,,,
सत्य तो यही है कि हम सभी लोग ईश्वर का अभिन्न अंश होने के बावजूद माया के बंधन में जकड़े होने के कारण अज्ञानता वश रात दिन धनार्जन के साथ ही परिवार के झूठे प्रेम में अपना बहुमूल्य जीवन खो देते हैं,, हमको सुकर्म और अकर्म की परिभाषा का ज्ञान नहीं होता,, हम भौतिक ज्ञान को ही ज्ञान मानकर उस ज्ञान से केवल भौतिक सुखों की जिज्ञासा में सौभाग्य और सुकर्मो से प्राप्त मानव जीवन खो देते हैं,,
हम भूल जाते हैं कि जिस परमपिता परमात्मा के पाने हेतु हमको मानव जीवन प्राप्त हुआ है,, तो फिर हमको क्या करना चाहिए ताकि हमको पुन: जन्म और मृत्यु की असहनीय पीड़ा न सहना पड़े,,
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जिस कर्म से किसी की आत्मा को प्रसन्नता मिलती है वह सुकर्म है और जिस कर्म से किसी की आत्मा को दुख मिले वह पाप है, उसी को अत्याचार कहा जाता है,,,
जो भी आप देख रहे हैं जहां तक आपका मन का रहा वह सब ईश्वर की माया है,, सब कुछ छोड़ कर सिर्फ ईश्वर को याद करो , तुमको कोई भी पूजा पाठ मंत्र की ज़रूरत नहीं है , उस परमात्मा को इतना याद करो कि सब कुछ भूल जाए,, पुत्र, स्त्री, धन, मकान, जमीन कुछ भी याद ना रहे, जब ऐसी अवस्था में तुम पहुंच जाओगे , तब तुमको भगवान को तलास करने की जरूरत नहीं पड़ेगी,, भगवान खुद तुम्हारे पास आयेंगे,, जेसे सबरी के पास भगवान खुद चल कर गए, सबरी अपनी कुटिया छोड़ कर कहीं नहीं गईं ,, लेकिन भगवान वहीं पहुंच गए,, माता लक्ष्मी कहती हैं भगवान विष्णु से कि सबरी तो पूजा नहीं करती , उसे कोई भी मंत्र का भी पता नहीं है फिर आप क्यों उसके घर पर पहुंच गए,
भगवान श्री विष्णु मुस्कराते हुए कहते हैं उसे कुछ भी याद नहीं रहा मेरी भक्ति में खुद को भी भूल चुकी है सबरी,,, और जो पूरी तरह से मुझ पर समर्पित है उसके पास मैं स्वयं जाता हूं,, प्रमाण प्रस्तुत है,, भक्त प्रहलाद, भक्त ध्रुव,, राजा मोरध्वज,, राजा हरिश्चंद्र,, जटायू,, हनुमान जी के पास भगवान स्वयं पहुंचते हैं,, क्यों कि हनुमान तो सुग्रीव के साथ वन में प्रभु राम का इंतजार कर रहे थे,, हनुमान के पास राम स्वयम् पहुंचते हैं,,
ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना रखते हुए सब कुछ उन पर छोड़ दो, विरक्त हो जाओ सुख हो या दुख बस ईश्वर का प्रसाद समझकर उसे मस्तक पर धारण कर ईश्वर में खो जाओ,, दुनियां संसार को भूल कर सिर्फ ईश्वर के हो जाओ जैसे कि गाय का बछड़ा अपनी मां के पास जाता है और कहीं नहीं जाता,,,
जय श्री हरि ॐ नमो नारायण 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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