यदि सत्य या पत्रकार सुरक्षित नहीं रहा तो जानते हैं क्या होगा,,?

 


स.संपादक शिवाकांत पाठक।


आज हम अतीत में जाकर गुजरे हुए समय के बारे में जानते हैं जब गांव में दो या तीन पत्रकार हुआ करते थे,, करीब 70 प्रतिशत अधिकारी और कर्मचारी ईमानदार हुआ करते थे,, गलत कार्य करना पाप होता है यह बात स्कूलों में भी शिक्षक बताया करते थे,,



माता पिता भी कहते थे कि झूठ बोलना पाप है बेटा,,


आज वर्तमान में हम भले ही विकास की बुलंदियों को छूने का दावा कर रहे हैं लेकिन तमाम बातों में हम खुद से दूर होते जा रहे हैं,, खुद से दूर का मतलब इंसानियत से दूर हो रहें हैं,,


अखबारों में प्रकाशित सामाचार पर पहले सूचना विभाग द्वारा तुरन्त सम्बन्धित विभाग को नोटिस जारी किया जता था और जांच हेतु सम्बन्धित पत्रकार को साक्ष्य के साथ जांच में उपस्थिति होने की सूचना दी जाती थी,,


अब आज देखिए नजारा क्या है,, किसी भी समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों पर कोइ भी प्रतिक्रिया प्रशासन द्वारा नहीं की जाती,, क्यों,,


पत्रकार भी रक्त बीज की तरह से सैकड़ों की तादात में सोशल मीडिया का पूरा लाभ लेते नजर आ रहे हैं,,  खबरों को लेकर एस एस पी हरिद्वार कई बार यह कहते नजर आ रहे हैं कि गलत खबरें प्रकाशित ना करें,,


अब बात करते हैं पत्रकारों की जो वास्तव में पत्रकार हैं जिनका मुख्य उद्देश्य ब्लैक मेलिंग नहीं है,

जो ख़बर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने हेतु नहीं लगाते,,,,


उनके साथ कितना गलत होता है क्या कभी सोचा है आपने,, गलत कामों में व्यस्त सरकारी लोग क्या क्या सितम ढाते है उन पर,,

कभी माफियाओं के इशारों पर फर्जी मुकदमे तो कभी जान लेवा हमलों के शिकार होते हैं असली पत्रकार,,


जब किसी भी पत्रकार के विरूद्ध साजिश के तहत फर्जी मुकदमे लगवाए जाते हैं उस समय मुकदमा लिखने वाले का जमीर क्या सवाल करता होगा,, क्यों कि सच तो उसे ज्ञात होता है,, और यह संसार किसी भी एक व्यक्ति विशेष द्वारा संचालित नहीं हो रहा है,, इसे कोई अलौकिक शक्ति ही संचालित कर रही है,,


इसलिए किसी भी निर्दोष व्यक्ति या पत्रकार के खिलाफ अपने अधिकारों और पद के अभिमान में आकर यदि किसी ने भी गलत किया है तो उसका परिणाम उसे अवश्य ही भोगना पड़ता है,, वह कोई भी हो,, क्यो कि यह विधि का विधान है,,


भारत में प्रेस को पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व खतरों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के वार्षिक विश्लेषण के अनुसार, देश में प्रेस की स्वतंत्रता में हाल ही में काफी गिरावट आई है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता जो 2016 में दुनिया में 133वें स्थान पर थी आज घटकर 180 देशों में से 161वें स्थान पर आ गई। बीबीसी जैसे प्रमुख मीडिया घरानों पर छापे मारे गए और कई पत्रकारों पर आपराधिक आचरण के आरोप लगाए गए। इनमें समाचार संगठन न्यूज़क्लिक के पत्रकार भी शामिल थे, जिन्हें गिरफ्तार किया गया और उन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया। यह कठोर कानून आम तौर पर आतंकवादी मामलों पर लागू होता है, लेकिन पिछले नौ वर्षों में 16 पत्रकारों पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाया गया और सात जेल में हैं।


 संपर्क सूत्र,,📲9897145867

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