स.संपादक शिवाकांत पाठक।
अवैध धन उगाही में शामिल लोगों के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करना कानून के नियमों का अनुपालन साबित होता है लेकिन यदि वन संपदा या राजस्व की चोरी करने वालों के दिलों से खौफ निकल जाए और वे दिन दहाड़े इस अवैद्य कार्यों को अंजाम देने पर उतर आएं तो इसे आप क्या कहेंगे,, क्या उत्तर होगा आपका,,,?
तथा कथित पत्रकार लिखने का अधिकार किसने दिया है,,? स.संपादक शिवाकांत पाठक।
सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मीडिया को लेकर समय समय जो भी नियम कानून लागू किए जाते हैं उनका भली भांति अनुपालन करते हुए मीडिया संस्थान पत्रकारों को किसी निश्चित क्षेत्र में पत्रकारिता हेतु स्वीकृत प्रदान करने का कार्य करते हैं जिसकी सूचना ज़िला सूचना अधिकारी एवम् जिला अधिकारी को भी मीडिया संस्थानों द्वारा उपलब्ध कराई जाती है,, अभी हाल ही में दो पत्रकारों के खिलाफ थाने में दी गई एक तहरीर के आधार पर मुकदमा लिखा गया एवम उन्हे नियमानुसार जेल भी भेज दिया गया,, यहां पर यह स्पष्ट करना उचित होगा कि स्थानीय पुलिस द्वारा एक तहरीर के आधार पर मुकदमा लिखा गया था,, पुलिस ने किसी भी तरह से कोइ भी व्यक्तिगत रंजिश के चलते ऐसा नहीं किया,, पुलिस का जो कार्य था उसे करना उनका अपना फर्ज बनता है,, लेकिन शायद इस घटना का प्रेस नोट जारी होते ही कुछ कलम कारों की कलमें तमाम मर्यादाओं को ताक में रखकर तथाकथित शब्द का इस्तेमाल करने में नहीं चूंकी ,,,
तथा कथित का मतलब होता है कि वे पत्रकार के नाम से प्रसिद्ध थे लेकिन थे नहीं,, अब यहां हम स्पष्ट कर दें कि यह मामला न्यायालय की शरण में जा चुका है न्यायालय सारे तथ्यों की तह तक जानें के बाद जब तक उन्हे फर्जी या नकली साबित ना कर दे तब तक हमको क्या किसी को भी हमारे देश का कानून यह अधिकार नहीं देता है कि किसी को इंगित करते हुए फर्जी कहा जाएं,, सूचना विभाग की व्यवस्था के अनुसार लिखने से पहले जिला सूचना अधिकारी से भी पता करने का प्राविधान है,, लेकिन कहीं न कहीं हम भूल जाते हैं कि जो हम लिख रहे हैं वह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है,, भारतीय संविधान का चौथा स्तम्भ है पत्रकारिता इसलिए कम से कम संविधान की गरिमा पर कीचड़ उछालने का कार्य ना करना ही समझदारी होगी,,,
जब तक अपराधिक मामलों में अपराधी के अंदर कानून का भय होता है तब तक गैर कानूनी कार्य से वह डरता है लेकिन जब भी भय समाप्त होता दिखा तो अवैध कार्य भी उन्हे वैध दिखते हैं,,
ऐसा ही कुछ यह तस्वीरें बयां कर रही हैं ,,
एक झलक स्टेट नदी के छलनी सीने का दर्द
इन तस्वीरों में एक स्पष्टता की झलक आप देख सकते हैं यह नजारा नवोदय नगर हरिद्वार रॉ नदी का है घटना सुबह 8 बजे दिनांक 17/02/2024 की है जब सूचना मिलने पर महावीर गुसाई पूर्व अध्यक्ष पर्वतीय बंधु समाज एवम प्रदेश सचिव शिव सेना मौके पर पहुंचे एवम सारा नजारा कैमरे में क़ैद कर लिया साथ ही कोर्ट चौंकी को सूचना दी गई,, मौके पर पहुंचे एक कॉन्स्टेबल ने इस घटना पर तुरन्त विराम लगा दिया,, ट्रेक्टर चालक को फावड़े तसले के साथ चौकी आने हेतु कहा गया।।
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