अभिव्यक्ति की आजादी आम नागरिक का अधिकार है।
रिपोर्ट महावीर गुसाईं,,
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) में सभी भारतीय नागरिकों को वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है. अनुच्छेद 19 के सभी अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही मिले हैं. अगर कोई विदेशी नागरिक है तो उसे ये अधिकार नहीं दिए गए हैं.। क्यों कि भारतीय संविधान में मौजूद अधिकारों में यह अधिकार सिर्फ भारतीय जनता को प्राप्त है,,, प्रेस की स्वतंत्रता भी इसी के साथ शामिल है अलग नहीं है,, क्यों कि यह एक संवैधानिक अधिकार है,, अब यदि हम बात करते हैं मीडिया की तो हम किसी भी प्रकार से किसी को भी सच बोलने, लिखने, भाषण देने से नहीं रोक सकते,, जब भारत के प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी के तहत विचारों को प्रसारित, करने का अधिकार प्राप्त है तो,, तथा कथित पत्रकार लिखना या कहना या फिर उसे प्रचारित या प्रसारित करना भारतीय संविधान के विरूद्ध है,, क्यों कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार सभी को है,,
साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट भारत के प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा करता है,,,
तो फिर तथा कथित जैसे शब्द इस्तेमाल कर कुछ लोग कानून को हाथ में ले रहे हैं जो कि गलत है,
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या वाक स्वतंत्रता बोलने की आजादी किसी व्यक्ति या समुदाय द्वारा अपने मत और विचार को बिना प्रतिशोध, अभिवेचन या दंड के डर के प्रकट कर पाने की स्थिति होती है। इस स्वतंत्रता को सरकारें, जनसंचार कम्पनियाँ, और अन्य संस्थाएँ बाधित कर सकती हैं। मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 19 में प्रयुक्त 'अभिव्यक्ति' शब्द इसके क्षेत्र को बहुत विस्तृत कर देता है। विचारों के व्यक्त करने के जितने भी माध्यम हैं वे अभिव्यक्ति, पदावली के अन्तर्गत आ जाते हैं। इस प्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में प्रेस की स्वतन्त्रता भी सम्मिलित है। विचारों का स्वतन्त्र प्रसारण ही इस स्वतन्त्रता का मुख्य उद्देश्य है। यह भाषण द्वारा या समाचार-पत्रों द्वारा किया जा सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में किसी व्यक्ति के विचारों को किसी ऐसे माध्यम से अभिव्यक्त करना सम्मिलित है जिससे वह दूसरों तक उन्हे संप्रेषित कर सके।
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