जिसका कोई नहीं उसका तो ?? हरिद्वार! स. संपादक शिवाकांत पाठक!
बात जन सेवा की है पत्रकार हो या समाज सेवी , नेता हो, या अधिकारी जब बात समाज सेवा की आयेगी तो सच लिखने की हिम्मत करना चाहिए क्योंकि सच कड़ुआ होता है मीडिया के लोग वास्तविकता नहीं लिख पाते उसके लिए मैं माफी चाहता हूं क्योकि तमाम मजबूरियां हैं साहब दो वक्त की रोटी का सवाल है जो मालामाल हैं वे कहां सोचते हैं मीडिया के लिए सत्ता धारी हों या फिर अमीर लोग भाई कभी भी नहीं सोचते हैं अब सुनिए हम आप रात को कमरे में सो जाते हैं तमाम लोग ऐसे हैं जिनके पास सोने के लिए कम्बल, बिछोने, व सर्दी बचाने के लिए टोपी आदि नहीं है रत्ना फाउंडेशन के प्रमुख भास्कर चंद्रा जी आज के दौर में एक मानवता की मिशाल बने हुए हैं उन्हें यदि सड़क पर कोई भी बेसहारा सर्दी से ठिठुरता दिख गया तो वे खुद सर्दी में रहना पसंद करते हैं लेकिन गरीब जनता को नहीं खास बात यह है कि उनका कोई स्वार्थ नहीं है जबकि सभी लोग स्वार्थ के लिए काम करते हैं भास्कर चंद्रा जी व उनके सहयोगियों के इस मानवता पूर्ण कार्य के लिए मैं अपनी लेखनी द्वारा कोटि कोटि नमन करता हूं !
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