कैसा हैआज का युग
खत्म हो गई इन्सानियत लोग भूल गये संस्कार | बढ़ रहा है हर दिन आतंक अत्याचार | भटक गई है युवा पीढ़ी घोर हुआ अन्धकार | कर रहै है खुद अपनी माता बहनों का बलात्कार बुझ गया है ज्ञान का दीपक, इस कलयुग में, बन गया है राक्षस हर इन्सान इस युग में | लोभ और लालच का फैला हुआ व्यापार | आज शोक सागर में डूब गया संसार | बिगड़ी देश की हालत बंद पड़ी है सत्ता । हो रही है चारो तरफ जाति धर्म की हत्या | देख दुनिया की हालत कुदरत भी हुई शर्मसार क्या हो पायेगा कलयुग में अब कोई चमत्कार दुख और गरीबी , इस धरती पर है भार मन का रोगी , तन का रोगी , हर कोई बिमार कुछ तो करो मेरे मालिक , मेरे सरकार!!
रचना=अनुराधा तोमर ज्वालापुर हरिद्वार उत्तराखंड!
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