वी एस इन्डिया न्यूज के स. संपादक सपरिवार पहुंचे सिद्ध पीठ! मोहसिन अली जिला ब्यूरो चीफ हरिद्वार!


 वैसे तो सभी को ज्ञात है कि हरिद्वार धर्म नगरी के नाम से जाना जाता है व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसे भगवान विष्णु का ह्रदय कहा जाता है यहां की पवित्र भूमि पर हर साल हजारों श्रद्धलुओं का आगमन होता है वी एस इन्डिया न्यूज चैनल दैनिक साप्ताहिक विचार सूचक समाचार पत्र के स. संपादक शिवाकांत पाठक सपरिवार मां सुरेश्वरी देवी के मंदिर पहुंचे जहां पर जाने के बाद जो तथ्य उभर कर सामने आए वह चौंकाने वाले तथ्य थे

जब मंदिर के बारे में जानकारी प्राप्त की गई तो वह इस प्रकार है सुरेश्वरी मंदिर हरिद्वार में स्थित एक प्राचीन मंदिर है । यह मंदिर देवी दुर्गा और देवी भगवती को समर्पित है । इस मंदिर को सिध्पीठ के रूप में भी माना जाता है | हरिद्वार से 8 किमी की दुरी पर रानीपुर के घने जंगलो में सिध्पीठ माँ सुरेश्वरी देवी ” सूरकूट पर्वत “ पर स्थित है | मंदिर का बड़ा ही पौराणिक महत्व है , इस मंदिर की गणना प्रसिद्ध सिध्पीठो में की जाती है ,

जिसका उल्लेख स्कन्दपुराण के केदारखंड में भी मिलता है | इस मंदिर कि यह मान्यता है कि श्रधा भाव से आकर दर्शन करने वालो के भक्तो के कष्टों को माँ सुरेश्वरी देवी सहज दूर कर देती है | पुत्र की कामना करने वालो को पुत्र और धन की कामना करने वालो को धन , मोक्ष चाहने वालो को मोक्ष प्राप्ति कर कृपा प्रसाद देने वाली माँ सुरेश्वरी देवी के दर्शन करने के लिए श्रधालुओ की भीड़ का तांता लगे रहता है | जनश्रुति के अनुसार कहा जाता है कि माँ सुरेश्वरी के दर्शन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है | यह भी मान्यता है कि माँ सुरेश्वरी देवी के दर्शन से चर्म रोगी एवम् कुष्ठ रोगी निरोगी हो जाते है | नवरात्रि में अष्टमी , नवमी और चतुर्दशी के दिन माँ के दर्शन का विशेष महत्व है , कहा जाता है कि इस दिन देवता भी माँ भगवती के दर्शन करने के लिए आते है |


सुरेश्वरी देवी मंदिर की पौराणिक कथा


चन्द्रवंशी राजा रजी के पुत्र से पराजित और स्वर्ग लोग से निष्कासित भयभीत इंद्र ने देवगुरु बृहस्पति के परामर्श से इसी स्थल पर माँ भगवती की स्तुति की थी | अर्थात इस मंदिर की मान्यता यह कि जब देवराज इंद्र राजा रजी के पुत्र से भयभीत होकर छुप गए तब बृहस्पति गुरु ने उन्हें विष्णु भगवान की स्तुति करने को कहा , भगवान विष्णु की स्तुति करने के बाद विष्णु जी ने कहा ” जो शक्ति है माया , तुम्हारी रक्षा कर सकती है , तुम उन्ही कि शरण में जाओ , वही मेघ रूप में वर्षा करती है , सूर्य रूप में तपती है , वायु रूप में शोषण करती है | देवराज इंद्र की स्तुति से प्रसन्न होकर माँ भगवती नें इसी स्थान पर इंद्र को दर्शन दिए थे |

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