अतीत को मत भूल जाना वरना वो याद दिलाने जरूर आएगा
स. संपादक शिवाकांत पाठक
वर्ष 2020 के अतीत को कभी मत भूलना वरना वह अपने आप को दोहराता है रावण एक समय बाली से अपनी जान की भीख मांग रहा था वहीं दूसरी ओर रावण देवराज इन्द्र के साथ समस्त देवताओं पर विजय प्राप्त कर काल को भी बस में कर लेता है अपने बल के मद व शक्तियों के अभिमान वस वह प्रभु राम को नहीं समझ पाता क्यों कि अभिमान मनुष्य का ही नहीं सभी का शत्रु है बस रावण के विनाश का कारण उसका अभिमान ही बन जाता है यहां बात अतीत की है वह समय जब अपने परिवार के लोग ही एक दूसरे के करीब जानें से डरते थे लॉक डाउन का समय व प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में लोग मर रहे थे उस दसा में हरिद्वार धर्म नगरी में तैनात जिलाधिकारी सी रविशंकर अपने भौतिक सुखों का परित्याग कर जनपद हरिद्वार की जनता को सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान हथेली पर लेकर सारी जिम्मेदारी निभा रहे थे लोग तो अपने घर को नहीं संभाल पाते सोच कर देखो जो लाखो लोगों की जिंदगी सलामत रखने के लिए अपने सुखों का परित्याग करते हैं क्या उन्हें बीते साल की तरह भुला दोगे ? हमारे जिलाधिकारी सी रविशंकर जी के आदेशों का पालन शतप्रतिशत कराने को लेकर अपर जिलाधिकारी के के मिश्रा जी
ने 72 घंटों तक पूरी तरह से तत्पर रहते हुए जो कर्तव्यनिष्ठा दिखाई उसे मैं लिख नहीं सकता शब्दकोश में शब्द ही नहीं हैं क्या लिखूं जो बाहर से आने वाले प्रवासियों की समुचित भोजन स्वास्थ्य व्यवस्था में 72 घंटे काम करता रहा सोचो और आप ही बताओ क्या लिखूं ? यह सच है कि रहिमन विपदा ही भली जो थोड़े दिन होय, हित अनहित या जगत में जान परे सब कोय!! कौन अपना है इसकी पहचान आप सब कैसे करें इसके लिए हमारे महा पुरुषों ने अपने अनुभव के आधार पर लिख दिया है कोरोना तो सम्पूर्ण विश्व में महामारी के रूप में था जैसे कि रावण ,कंस ,हरण्यकस्यप ,लेकिन राम सदाचारी थे मर्यादा पुरुषोत्तम थे मर्यादा में रहकर ब्रम्ह होकर भी जिन्होंने संसार का कष्ट मिटाया क्या उन्हें भुला दोगे ? रावण व उसका पुत्र मेघनाथ किसी कोराना से कम नहीं था उससे युद्ध करते हुए लखन लाल को शक्ति लगती है
भाई लक्छमण के शक्ति लगने पर राम इस तरह रोते हैं जैसे साधारण इंसान रोता है मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल कह कर रोते हैं इसी तरह अपर जिलाधिकारी के के मिश्रा जब कोरोना ग्रस्त हुए तो जिलाधिकारी सी रविशंकर के ह्रदय को जो वेदना पहुंची वह बताई नहीं जा सकती बस मैं इतना ही कह सकता हूं कि अतीत को भूलना मत कभी भी वरना समय बहुत बलवान होता है खुद ईश्वर को भी समय की मर्यादा रखना पड़ी हमारी हरिद्वार नगरी के अधिकारी वर्ग जिन्होंने हमारी हिफाजत के लिए खुद की परवाह नहीं की हम उन सभ को कलम के सिपाही होने के नाते कोटि कोटि नमन करते हैं!
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