आलस्य और उमंग में से किसे चुने ! मनोज श्रीवास्तव सहायक सूचना निदेशक देहरादून
आलस्य वाले जल्दी थकते हैं जबकि उमंग वाले अथक होते हैं ।
हम अपने आलस्य के कारण पुरूषार्थ में हार का अनुभव करने लगते है।
वास्तव में जो ऐसी सोच रखते है ,उन्हें ही आलस्य आता है, वह सोचते हैं क्या करें इतना ही हो सकता है।
इसलिये अब इस सूक्ष्म आलस्य का भी नाम निशान न रहे इसके लिए सदा अलर्ट रहना होगा।
हमे ऐसे संकल्प नही रखना है कि हमारे भीतर अब हिम्मत नहीं है क्या करे जितना हो सकता है चल तो रहे हैं, - कर तो रहे हैं।
अर्थात हमें आलस्य दूर करके उमंग उत्साह में रहकर ,एवररेडी और आलराउन्डर बनने का लक्ष्य रखना है।
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