सम्मान कभी व्यक्ति विशेष को नहीं उसके द्वारा किए गए कार्यों को मिलता है ! हरीद्वार !

 


( एस एस पी अजय सिंह की जीत हरिद्वार पुलिस की कड़ी मेहनत का परिणाम )



संपादक शिवाकांत पाठक!




( उत्कृष्ट, सुशासन पुरस्कार हरीद्वार के लिए गौरव पूर्ण इतिहास )




माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विश्वास की कसौटी में पूरी तरह खरे उतरने वाले आई पी एस अजय सिंह को उत्कृष्ट सुशासन पुरूषकर मिलना वास्तव में धरम नगरी हरीद्वार के लिए गौरव पूर्ण इतिहास साबित होगा ,,





 क्यों कि एस एस पी हरिद्वार को उनके द्वारा किए गए घोटाले के पर्दाफाश को लेकर ईनाम के तौर पर हरीद्वार के हालातों को देखते हुए सौंपा गया था ,, 





और माननीय मुख्यमंत्री जी ने जिस विस्वास के साथ उन्हें धरम नगरी की बागडोर सौंपी थी अजय सिंह आई पी एस ,पूरी तरह अपनी ईमानदारी , कर्तव्य निष्ठा एवम् लगनशीलता के चलते खरे उतरे क्यों कि,, सोना बेहद कीमती होने के बावजूद लोग उसकी परीक्षा जरूर लेते ,, जानते हैं क्यों ?





 क्यों सच्चाई के रास्ते में खुद को सत्य साबित करने के लिए तमाम इम्तहानों से गुजरना पड़ता है इसी तरह सोने को भी खुद को सच साबित करने के लिए आग में तपना पड़ता है ,,







 जिस तरह एस एस पी अजय सिंह के सामने आई तमाम चुनौतियां उनके साहस एवम् कुशल नेतृत्व के सामने बौनी साबित हुई ,, 8 माह के दुध मुंहे बच्चे का अपहरण "" 






इसके तुरंत बाद फिर एक बच्चे के गुम होने का पर्दफाश अपनी सूझबूझ से अल्प अवधि में करना किसी इम्तहान से कम नहीं था ,, साथ ही जिसकी रिपोर्ट दर्ज करने में हीला हवाली की गई उसकी लाश मिलने पर दोषी पुलिस कर्मियों को शमशान घाट में ड्यूटी हेतु निर्देश देना एक कुशल नेतृत्व का उदाहरण है ! 






किसी भी घटना से पीड़ित व्यक्ति को यदि थाने में न्याय नहीं मिल पाता तो वह न्याय की गुहार लगाने एस एस पी आफिस जाता है लेकिन यहां तो सारा मामला ही बेहद चौंकाने वाला सामने आया ,, जब एस एस पी अजय सिंह खुद ही पीड़ित के घरों में पहुंच गए  एक असाधारण व्यक्ति साधारण बन जाए तो वह अलौकिक शक्तियों से संपन्न माना जाता है जैसे वृक्ष फलों के आने पर झुक जाता है ,, एक उदाहरण आपके सामने है,, 





माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी  सुबह मॉर्निंग वॉक पर जाकर एक ढाबे में चाय पीने लगते हैं जिसे कुछ लोग गलत तो बहुत सारे बुद्धिजीवी लोग सही समझते हैं ,, तभी तो गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने रामचरित मानस में लिखा है कि,,,जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी,,, 





अपनी भावना,सोच के अनुसार ही व्यक्ति विचार प्रकट करता है ,, उदाहरण तलाश करने की आवश्यकता नहीं है हमारे भारतीय ग्रंथों में सामने है, भगवान राम खुद भीलनी शबरी के घर पहुंच जाते हैं ,, गिद्ध राज जटायु को अपने ह्रदय से लगा लेते हैं ,, हनुमान को सीने से लगा कर कहते हैं तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ,,तो यहां पर आप सोचिए कि वास्तविक शक्तियों से संपन्न व्यक्ति नम्र कैसे हो जाता है ,, यही है निराभिमानी व्यक्ति का उदाहरण ,, 


अपने साहस पराक्रम, सूझबूझ से एक नया इतिहास रचने वाले प्रमुख जिम्मेदार अधिकारियों को वी एस इन्डिया न्यूज परिवार सदैव सम्मान देता रहा है ताकि अन्य लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत साबित हो ,,,



अजय सिंह एस एस पी को उत्कृष्ट, सुशासन पुरस्कार देने का निर्णय उत्तराखंड सरकार की निष्पक्षता को दर्शाता है ,,





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