पत्तलकार लिख दिया पत्रकारों को,,, कौन है ये डिग्रीधारी,,,कलम युद्ध के परिणाम जानतें हैं आप ? यदि नहीं तो पढ़िए !
एक पीड़ित महिला ने बताई अपनी व्यथा और भड़का आरोपी
संपादक शिवाकांत पाठक !
रिपोर्ट रणविजय कुमार उत्तराखंड क्राइम ब्यूरो
कुछ खास लिखने के पहले आपको एक शिक्षा प्रद कहानी बता दूं ,, एक देवी भक्त मां दुर्गा की पूजा उनके मंदिर में तीनों पहर करता था और मंदिर में बने एक कमरे में रहता था लेकिन अचानक विशेष कार्य से उसे बाहर जाना पड़ा तो उसने अपने छोटे भाई से कहा कि एक सप्ताह तुम देवी की पूजा अर्चना करना जब तक मैं वापस न आ जाऊं छोटे भाई ने कहा कि ठीक है ,, परन्तु छोटा भाई रात दिन दारू, मुर्गा का शौकीन था ,, बड़े भाई के जाते ही उसने मंदिर के बगल में बने कमरे में दोस्तो के साथ यही कार्य यानी पार्टी शुरू कर दी और रोजाना वहां पार्टी होने लगी,, तब देवी ने बड़े भाई को स्वप्न दिया कि तुम्हारा छोटा भाई इस स्थान को अपवित्र कर रहा है तुम जल्द ही आ जाओ वरना मैं तुम्हे भस्म कर दूंगी ,,, तो बड़े भाई ने कहा माता इसमें मेरा क्या दोष है जो दोषी है आप उसे सजा न देकर मुझे क्यों भस्म करने की धमकी दें रहीं हैं?? बस ऐसा ही कुछ हुआ था एक महिला किसी के सामने अपनी व्यथा बता रही थी और वह व्यक्ति वीडियो बना रहा था सच यह है कि उस महिला ने मजबूर होकर खुद फोन करके उस व्यक्ति को मदद के लिए बुलाया था और वह वीडियो जब एक पत्रकार के समक्ष आई तो एक पत्रकार का काम हैं मजबूर ,, न्याय से वंचित जनता की आवाज जन जन तक पहुंचना और वही किया भी ,, बस फिर क्या था वह व्यक्ति आग बबूला हो गया और उसने अपना आपा खो दिया इतना ही नहीं बल्कि वीडियो को आगे भेजने वालों को धमकी देने लगा कि इसकी शिकायत की जाएगी ,, महिला को विस्वास में लेकर साजिश रची गई है,, जबकि बचाव का यह तरीका जल्दबाजी एवम् अल्पबुद्धि को दर्शाता है ,, क्यों कि बचाव का रास्ता न देख उसने बौखलाहट में खुद को झल्लाहट में बाप लिख दिया लिखा कि मै तुम्हारा बाप हूं दिमाग में रखूंगा ,,, कितनी छोटी सोच का उदाहरण पेश किया गया ,, आप सोचिए कि छवि को वह धूमिल कर रहा है जो वीडियो में बोल रहा है फिर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाला पत्रकार दोषी कैसे हुआ साथ ही पत्रकार को कक्षा तीन पास बौखलाहट में लिखा गया और तो और पत्रकार को पत्तर कार लिखने वाला कितना काबिल और होशियार होगा यह भविष्य तय करेगा क्यों कि पत्रकारिता बुद्धि विवेक से ही संभव हो सकती है बिना विवेक के आम जन मानस की समस्यायों को शासन के सभी निर्देशों का अनुपालन करते हुए लेखनी के माध्यम से सम्पूर्ण भारत में पहुंचाना कोई भी मजाक नहीं होता ,, अपनी वास्तविकता को देख दोषी व्यक्ति यदि हुंकार भरता है तो युद्ध के सभी नियम एवम् मर्यादाएं तोड़ देता है ,, और यहीं से शुरू होता है कलम युद्ध कौन जीतेगा कौन हारेगा यह सब भविष्य तय करेगा लेकिन मामले की गहराई तक जाकर विस्तृत जांच तो अब हरीद्वार प्रशासन के विवेक पर आधारित है ,,
आपके युद्ध के बारे में सुना होगा युद्ध के कितने प्रकार के होते हैं शायद आप न जानते हों तो चलिए आप को जानकारी दिलाने के उद्देश्य से कोशिश करता हूं ,,क्रांतिकारी युद्ध, गृह युद्ध, छापामार युद्ध, विद्रोह एवं प्रत्याद्रोह युद्ध, असमान युद्ध एवं आतंकावाद युद्ध,, परोक्ष युद्ध, अपरोक्ष युद्ध ,, शीत युद्ध, मल्ल युद्ध, वाक युद्ध, कीटाणु युद्ध, परमाणु युद्ध, जल युद्ध के बाद एक अहम भूमिका निभाने वाला युद्ध होता है कलम युद्ध इसकी मारक क्षमता योद्धा की शक्ति पर निर्भर करती लेकिन जब इसका उपयोग अपने निजी व्यक्ति गत बचाव के लिए न किया जाए क्यों कि कलम पर कभी भी किसी का एकाधिकार नहीं रहा जो लोग कलम की उपयोगिता जानते हैं वे कभी उत्तेजित होकर इसका दुरुपयोग नहीं करते
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