कोई शक ? एस एस पी अजय सिंह को शान ए हरीद्वार से किया सम्मानित! हरिद्वार !

 


संपादक शिवाकांत पाठक!




( ऐतिहासिक आश्चर्य,,,8 माह के दुधमुहे बच्चे को अपनी सूझबूझ से तलाश कर दिखाना कोई मामूली बात नहीं है )






( वी एस इन्डिया न्यूज परिवार ने शान ए हरीद्वार से सम्मानित किया एस एस पी अजय सिंह को )



अजय सिंह एस एस पी की कुशल सूझ बूझ एवम् निर्देशन से हरिद्वार पुलिस द्वारा जो ऐतिहासिक कार्य संपादित कर दिखाया गया उस कार्य ने हरीद्वार के आम जन मानस के हृदय पटल पर जो अमित छाप छोड़ी उसका उदाहरण आज देखने को मिला ,, आज शाम करीब साढ़े चार बजे  एस एस पी हरीद्वार को बधाई देने वालों का तांता लग गया जिसमें कि  वी एस इन्डिया न्यूज चैनल दैनिक एवम् साप्ताहिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परिवार के स. संपादक शिवाकांत पाठक, एंकर एवम् एडिटर गुलफाम अली, जिला ब्यूरो चीफ हरीद्वार मोहसिन अली ने लगातार सफलता का परचम लहराने वाले अजय सिंह जी को शान ए हरीद्वार प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया साथ ही  संत , प्रबुद्धशाली नागरिक, एवम् खोए हुए बच्चे को पाकर असीमित खुशी का इजहार करने वाले पिता भी अजय सिंह को बधाई देने पहुंचे, उनके हांथो में मिठाई का डिब्बा भी था लेकिन एस एस पी साहब ने वह मिठाई खिलाता उससे पहले बेटे को पाकर खुशी का इजहार करने वाले पिता को अपने हाथों से मिठाई खिला दी यह असीम प्रेम का अद्भुत दृश्य था जिसे लेखनी से उजागर नहीं किया जा सकता क्यों कि जिसे पुन:  जीवन मिला हो जिसकी तमाम निराशाएं आशा रूपी दीपक के समक्ष जलकर खाक हो गई हों उसकी अपार खुशियां लेखनी द्वारा कभी नहीं लिखी जा सकतीं वह सुरक्षा का भार संभालने वाले अजय सिंह की सरलता भी बेशक सराहना के काबिल है क्यों कि वे मानवीय संवेदनाओं को समझने की कोशिश में पूरी तरह कामयाबी का झंडा लहरा चुके हैं अब एक झलक देखिए प्रेम की वास्तविकता की ऐतिहासिकता क्या बताती है ,, हनुमान मां सीता का पता लगा कर लंका दहन कर वापस आते हैं और प्रभु राम को सारा हाल बताते हैं प्रभु राम प्रेम से उन्हें गले लगाने के लिए उतावले हो जाते हैं,, लेकिन हनुमान उनके चरणों में अपना सर रख देते हैं यही है प्रेम अद्भुत संगम ,, चौपाई

बार बार प्रभु चहइ उठावा। प्रेम मगन तेहि उठब न भावा।।

प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा। सुमिरि सो दसा मगन गौरीसा।।

सावधान मन करि पुनि संकर। लागे कहन कथा अति सुंदर।।

कपि उठाइ प्रभु हृदयँ लगावा। कर गहि परम निकट बैठावा।।

कहु कपि रावन पालित लंका। केहि बिधि दहेउ दुर्ग अति बंका।।

प्रभु प्रसन्न जाना हनुमाना। बोला बचन बिगत अभिमाना।।

साखामृग के बड़ि मनुसाई। साखा तें साखा पर जाई।।

नाघि सिंधु हाटकपुर जारा। निसिचर गन बिधि बिपिन उजारा।

सो सब तव प्रताप रघुराई। नाथ न कछू मोरि प्रभुताई।।


अर्थात हनुमान जी को अभिमान नहीं है क्यों कि वे बुद्धिमान होने के साथ साथ शक्ति शाली भी हैं  अहंकार समस्त गुणों का विनाश कर देता है जो लोग अपने पद, प्रभाव , धन के लिए अभिमान वस लोगों से बात नहीं करते वे बुद्धिमान नहीं हो सकते यह हमारे प्राचीन ग्रंथ बताते हैं ! भगवान पुर में पुलिस के साथ बदमाशों की मुठभेड़ की सूचना मिलते ही एस एस पी अजय सिंह तुरंत मौके पर पहुंचे उन्होंने रात दिन नहीं देखा इसे कहते हैं जिम्मेदारियों का निर्वाह करना ,,,




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