जरूर पढ़ें,,,जब सभी की आंखो से आशूं बह निकले ,, सत्य घटना ! संपादक शिवाकांत पाठक !

 


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा नशा मुक्त प्रदेश अभियान के लिए एस एस पी अजय सिंह के कुशल नेतृत्व में हरीद्वार पुलिस पूरी तरह से स्कूलों, घरों में जाकर अहम भूमिका निभा रही हैं इसी श्रृंखला में एक खास पहल मेरी ओर से समर्पित,,, संपादक शिवाकांत पाठक





( गौर से पूरा पढ़िए क्यों कि यह वास्तव में एक सच्चाई है )



हर लड़की  के लिए प्रेरणा दायक घटना जिसने मेरे दिल को झझकोर दिया


साथ ही लड़कों के लिए अनुकरणीय शिक्षा प्रद ,,,,,



कोई भी लडकी की सुदंरता उसके चेहरे से ज्यादा दिल की होती है।

...पति ने घर मेँ पैर रखा....‘अरी सुनती हो !'


आवाज सुनते ही पत्नी हाथ मेँ पानी का गिलास लेकर बाहर आयी और बोली



"अपनी बेटी का रिश्ता आया है,


अच्छा भला इज्जतदार सुखी परिवार है,

लडके का नाम युवराज है ।

बैँक मे काम करता है। 

बस बेटी हाँ कह दे तो सगाई कर देते है."


बेटी उनकी एकमात्र लडकी थी..

घर मेँ हमेशा आनंद का वातावरण रहता था ।


कभी कभार सिगरेट व पान मसाले के कारण उनकी पत्नी और बेटी के साथ कहा सुनी हो जाती लेकिन

वो मजाक मेँ निकाल देते ।


बेटी खूब समझदार और संस्कारी थी ,,,

S.S.C पास करके टयूशन, सिलाई का काम करके पिता की मदद करने की कोशिश करती ।


अब तो बेटी  ग्रेज्यूऐट हो गई थी और नौकरी भी करती थी

लेकिन बाप उसकी पगार मेँ से एक रुपया भी नही लेते थे...


और रोज कहते ‘बेटी यह पगार तेरे पास रख तेरे भविष्य मेँ तेरे काम आयेगी ।'


दोनो घरो की सहमति से बेटी और

युवराज की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया.


अब शादी के 15 दिन और बाकी थे.


बाप ने बेटी को पास मेँ बिठाया और कहा-


" बेटा तेरे ससुर से मेरी बात हुई...उन्होने कहा दहेज मेँ कुछ नही लेँगे, ना रुपये, ना गहने और ना ही कोई चीज ।


तो बेटा तेरे शादी के लिए मेँने कुछ रुपये जमा किए है।


यह दो लाख रुपये मैँ तुझे देता हूँ।.. तेरे भविष्य मेँ काम आयेगे, तू तेरे खाते मे जमा करवा देना.'


"ओके पापा  - बेटी छोटा सा जवाब देकर अपने रुम मेँ चली गई.


समय को जाते कहाँ देर लगती है ?


शुभ दिन बारात आंगन में आयी,


पंडितजी ने चंवरी मेँ विवाह विधि शुरु की।

फेरे फिरने का समय आया....


कोयल जैसे कुहुकी हो ऐसे बेटी दो शब्दो मेँ बोली


"रुको पडिण्त जी ।

मुझे आप सब की उपस्तिथि मेँ मेरे पापा के साथ बात करनी है,"


“पापा आप ने मुझे लाड प्यार से बडा किया, पढाया, लिखाया खूब प्रेम दिया इसका कर्ज तो चुका सकती नही...



लेकिन युवराज और मेरे ससुर जी की सहमति से जोआपने दिया दो लाख रुपये का चेक मैँ वापस देती हूँ।


इन रुपयों से मेरी शादी के लिए लिये हुए उधार वापस दे देना 

और दूसरा चेक तीन लाख रूपए का जो मेने अपनी पगार मेँ से बचत की है...


जब आप रिटायर होगेँ तब आपके काम आयेगेँ,

मैँ नही चाहती कि आप को बुढापे मेँ आपको किसी के आगे हाथ फैलाना पड़े !


अगर मैँ आपका लडका होता तब भी इतना तो करता ना ? !!! "


वहाँ पर सभी की नजर बेटी  पर थी...


“पापा अब मैं आपसे जो दहेज मेँ मांगू वो दोगे ?"


बाप- भारी आवाज मेँ -"हां बेटा", इतना ही बोल सके ।


"तो पापा मुझे वचन दो"

आज के बाद आप सिगरेट को कभी हाथ नही लगाओगे....


तबांकू, पान-मसाले का व्यसन आज से छोड दोगे।


सब की मौजूदगी मेँ दहेज मेँ बस इतना ही मांगती हूँ ।."


लडकी का बाप मना कैसे करता ?


शादी मे लडकी की विदाई के समय कन्या पक्ष को रोते हुए देखा होगा लेकिन 


आज तो बारातियों की आँखों मेँ आँसुओं कि धारा निकल चुकी थी।


मैँ दूर से उस बेटी को लक्ष्मी रुप मे देख रहा था....


रुपये का लिफाफा मैं अपनी जेब से नही निकाल पा रहा था....


साक्षात लक्ष्मी को मैं कैसे लक्ष्मी दूं ??


लेकिन एक सवाल मेरे मन मेँ जरुर उठा,


“भ्रूण हत्या करने वाले लोगो को इस जैसी लक्ष्मी मिलेगी क्या" ???


कृपया रोईए नही, आंसू पोछिए और प्रेरणा लीजिये।


कहानी पूरा पढ़ने के  लिए आपका हार्दिक आभारी हु.  अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी है तो बेटी बचाओ बेटी पढाओ...धन्यवाद।

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