इंसानी कत्ल के जूर्म में नौ गुलदार जेल में भुगत रहे हैं सजा ! उत्तराखणड!
संपादक शिवाकांत पाठक!
रिपोर्ट रणविजय कुमार,,,उत्तराखंड से एक रोचक खबर सामने आ रही है । हरिद्वार नजीबाबाद हाईवे पर बना चिड़ियापुर ट्रांजिट एवं पुर्नवास सेंटर में यहां इंसानी कत्ल या फिर इंसानी बस्ती में घुसने के जुर्म में नौ गुलदारों को जेल में रखा गया है । चौंक गए न आप भी ? ये 9 गुलदार सालों से पिंजरे में कैद हैं । कैद भी ऐसी जिसमें रिहाई की उम्मीद न के बराबर है । मतलब कि अब ये अब कभी वापस जंगल में नहीं जा पाएंगे ।
ये एक तरह से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं । इन सजायाफ्ता कैदियों को रूबी , रॉकी , दारा , मुन्ना , जाट , मोना , गब्बर , जोशी नाम से पुकारा जाता है । रूबी नाम की मादा गुलदार पिछले सात सालों से सजा काट रही है । इन्हें दिन के उजाले में कुछ घंटे के लिए खुले बाड़े में छोड़ा जाता है और फिर पिंजरें में कैद कर दिया जाता है । हफ्ते में एक दिन चिकन , एक दिन मटन और एक दिन मोटा मांस खाने को दिया जाता है । लेकिन , मंगलवार को नौ के नौ कैदियों को उपवास रखना होता है । यानि की मंगलवार को इन्हें खाने को कुछ नहीं दिया जाता है । रूबी को 2015 में इंसानी कत्ल के आरोप में तब पकड़ा गया था , जब वो मात्र छह साल की थी ।
तेरह साल के आदमाखोर रॉकी को 2017 में टिहरी के संतला गांव से पकड़ा गया था ।उत्तराखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ समीर सिन्हा कहते हैं कि यह वाइल्ड लाइफ का पुर्नवास सेंटर है । यहां पर अलग अलग घटनाओं में घायल हुए जानवरों को उपचार के लिए लाया जाता है । जहां , उपचार के बाद उनको फिर उनके नेचुरल हैवीटेट में छोड़ दिया जाता है । हालांकि , गुलदार के मामले में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन का कहना है कि यह मैन ईटर हो चुके हैं इसलिए इन गुलदारों को यहां पिंजरे में कैद कर दिया जाता है और फिर उनकी रिहाई नामुमकिन हो जाती है । लंबे समय तक ह्यूमन टच और पिंजरे में रहने के कारण ये गुलदार मानसिक तनाव में कहीं अधिक खूंखार हो गए हैं । अब इन्हें जंगल में छोड़ा जाना भी संभव नहीं है । मंगलवार के उपवास पर चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन का कहना है कि जानवरों को जंगल में रोज शिकार नहीं मिलता , इसलिए एक दिन उपवास पर रखा जाता है । इससे उनके स्वास्थ्य में भी सुधार रहता है ।
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