क्या आप जानते हैं अशोक वृक्ष के प्रभावशाली उपाय ! डॉ नीरज सैनी! शिवालिक गंगा बिहार ,हरिद्वार!
संपादक शिवाकांत पाठक!
अशोक वृक्ष धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन में अन्य पावन वृक्षों, जैसे वट-पीपल आदि की भांति भारतीयों के लिए श्रद्धा का पात्र है। शुभ एवं मंगलकारी वृक्ष के रूप में इसका वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में किया गया है। यह वृक्ष पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में प्रभावी भूमिका निभाता है। धर्मावलंबी इसको किसी न किसी रूप में पावन वृक्ष के रूप में श्रद्धा के साथ मान्यता देते हैं।
प्राचीन मूर्तियों में अशोक वृक्ष की अर्चना अंकित है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस वृक्ष को इसलिए पूजते हैं क्योंकि महात्मा बुद्ध का अशोक वृक्ष के नीचे जन्म हुआ था। वैसे तो इस वृक्ष की पूजा का प्रचलन, गन्धर्वों और यक्षों के काल से रहा है।
श्री राम ने अशोक के पेड़ से ही सीता जी के दर्शन की अभिलाषा की थी। तो कालान्तर में राम भक्त हनुमान की सीता को अशोक पेड़ के नीचे बैठी देखकर ही शोक की समाप्ति हुई थी। इससे इस पेड़ के शोक रहित होने की बात चरितार्थ सिद्ध होती है। भगवान वाल्मीकि ने रामायण में वर्णित, पंचवटी में लगे प्रमुखत: पांच वृक्षों को शुभ माना है। उनमें अशोक वृक्ष भी है। यह पेड़ इंद्र देव को अत्यधिक प्रिय है क्योंकि यह कामदेव का प्रतीक माना गया है। इस पेड़ को पूजने की परंपरा राजा भोज के समय से है।
अशोक वृक्ष को विभिन्न भाषाओं में विभिन्न नामों से संबोधित किया जाता है। जैसे संस्कृत में महापुष्प, अपशोक मंजरी, मारवाड़ी में आसापाली, गुजराती में आसोपालव, देववाणी में अशोक, बञजुली शोक, उडिय़ा, गढ़वाली, बंगाली, मराठी व कन्नड़ में अशोक, तमिल में आर्सीगम वनस्पति शास्त्रियों के अनुसार सराका इंडिका अशोक एवं लैटिन में जानेसिया अशोक।
किसी भी शुद्ध मुर्हूत में जैसे कि गुरु+रवि पुष्य योग या जिसे उपाय करना है उसकी जन्म तिथि के दिन पड़ने वाला अभिजीत मुहूर्त, होली, दीपावली, धनतेरस, अक्षय तृतीया, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा या अन्य मासिक शुभ मुहूर्त में अशोक वृक्ष की जड़ को निकाल लें। जड़ को निकाल उसे स्वच्छ जल अथवा गंगा जल से शुद्ध करके। अपने पूजा के स्थल में माँ दुर्गा के बीज मन्त्र से 1008 बार या यथा सामर्थ्य इससे अधिक जाप करें। इसके बाद इस मूल जड़ को लाल कपड़े या लाल धागें में शरीर पर धारण करने से कार्यो में शीघ्र ही सफलता मिलने लगती है। इसकी मूल जड़ को शुद्ध करके तकिये के अन्दर रखने से वैवाहिक जीवन में परस्पर प्रेम बना रहता है।
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