कुछ तो चमत्कार दिखलाओ,,

 



विकल हो रहा है मेरा मन, अब तो प्रभु धरती पर आओ!


कुछ तो चमत्कार दिखलाओ ,,,


कुछ तो चमत्कार दिखलाओ,,



श्रष्टि रचियता तुम हो ,तुम ही सबके पालन हारे !


कौन किनारा पा सकता है स्वामी बिना तुम्हारे !!


 जीवन मृत्यु तुम्हीं से है अब तुम बिन कौन सहारा !


यहां पापियों के कारण दूषित गंगा की धारा !!


नहीं रहा इंसाफ यहां फिर चक्र सुदर्शन लेकर आओ!


कुछ तो चमत्कार दिखलाओ,,,


कुछ तो चमत्कार दिखलाओ,,, 


लालच में अंधे होकर रखते  हाथों में माला !


भोली जनता क्या जाने ये करते रोज घुटाला !!


जिस टहनी पर बैठे हैं ये उसको काट रहे हैं !


खुद का घर नोटों से भर हम सबको बांट रहे हैं!!


हे दीनों के नाथ आज तुम दीनबंधु बनकर आ जाओ!


कुछ तो चमत्कार दिखलाओ,,


कुछ तो चमत्कार दिखलाओ !!



(राष्ट्र एवम् जनहित में समर्पित रचना )

रचनाकार



संपादक शिवाकांत पाठक

वी एस इन्डिया न्यूज चैनल दैनिक साप्ताहिक विचार सूचक समाचार पत्र परिवार हरिद्वार उत्तराखंड,, लेख गीत कविता विज्ञापन हेतु संपर्क करें,, 9897145867

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