{अपनी बातों से खुद मुकरता है }
अपनी बातों से खुद मुकरता है !
कौन मालिक से आज डरता है !!
खुद कभी झांकता नहीं अंदर!
आइना टूट कर बिखरता है !!
वक्त की बात वक्त पर कर ले !
वक्त किसने कहा ठहरता है!!
जो भी तस्वीर बोलती है यहां!
रंग मेरे लहू का भरता है !!
जिसने लांघी हैं सभी सीमाएं!
बस वही हद को पार करता है !!
क्या बताऊं तुम्हे मैं अपना सफर!
कलम के पास आ ठहरता है !!
लोग डरते हैं कलम से लेकिन !
हां मगर मुझसे कौन डरता है !!
मौत से आंख मिला ली मैंने!
फ़िक्र जीवन की कौन करता है !!
अपनी बातों से खुद मुकरता है !
कौन मालिक से आज डरता है !!
रचना
स. संपादक शिवाकांत पाठक
वी एस इन्डिया न्यूज चैनल दैनिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परिवार संपर्क सूत्र📞9897145867
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