मूंगफली खाकर युद्ध के लिए जाते थे श्री कृष्ण ! अध्यात्म !
संपादक शिवाकांत पाठक!
रिपोर्ट मुकेश राणा उत्तराखंड,,उल्लेखों से पता चलता है की महाभारत के युद्ध में जाने से पहले भगवान श्री कृष्ण प्रतिदिन मूंगफली खाते उसके पश्चात युद्ध की ओर प्रस्थान करते और यह उनका दैनिक नियम बन चुका था। असल मे उनके मूंगफली खाने के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा हुआ था, जिसेके बारे में केवल एक ही व्यक्ति को जानकारी थी और वे थे उडुपी राज्य के राजा। इस लीला के पीछे एक कथा है, बता दे की जब पांडवों और कौरवोंं के बीच युद्ध छिड़ा तो देश-विदेश के राजाओं को युद्ध में उनकी तरफ से शामिल होने को सन्देश भेजा था जिसमे कई राजा शामिल हुए मगर उनमे से एक ऐसे राजा भी थे जो किसी के पक्ष से न लड़ते हुए भी युद्ध में सम्मलित हुए और वो थे उडुपी राज्य राजा उडुपी।
असल में राजा उडुपी का मानना था की इस महाभारत के युद्ध में हजारो लाखो सैनिक लड़ेंगे, पूरा दिन युद्ध करने के बाद शाम में उन्हे प्रचुर मात्रा में भोजन भी चाहिए होगा जिसका जिम्मा खुद उन्होने श्री कृष्ण से आग्रह किया था। उनकी बातों से भगवान बहुत प्रसन्न हुए थे और उन्होंने राजा उडुपी को आज्ञा दे दी। मगर इसके बाद राजा उडुपी के सामने एक नई समस्या आ गयी। उनका मानना था की हर दिन युद्ध के बाद लौटने वाले सैनिकों की संख्या कम हो जाती है और कितनी कम होती है इसका भी अंदाज़ा नही रहता और समस्या यह थी की सैनिकों के लिए कितना खाना बनाया जाए। ऐसे में यदि किसी दिन कम खाना बनाया जाए तो उस दिन सैनिक भूखे मर जाएंगे और जिस दिन यदि खाना ज्यादा बन जाए तो बर्बाद होने पर अन्नपूर्णा का अपमान होगा।काफी सोचने विचारने के बाद भी जब उन्हे कोई रास्ता नही सुझा तो उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के समक्ष जाकर अपनी समस्या रखी। राजा उडुपी की बात सुनकर एक बार फिर से श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए की राजा को अन्नपूर्णा की भी परवाह है। तब उन्होने इस समस्या का समाधान बताते हुए कहा ही मै हर रोज युद्ध में जाने से पहले मूंगफली के कुछ दाने खाऊंगा, जितने दाने मैं एक दिन में खाऊंगा समझ लेना की उस दिन उतने हजार सैनिक युद्ध में मारे जाएंगे और इस तरह से श्री कृष्ण ने इस बड़े रहस्य से पर्दा उठाया साथ ही बहुत सारा भोजन भी बर्बाद होने से बचाया।
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