यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत,,एस एस पी ने उठाया ऐतिहासिक कदम ! हरीद्वार !

 


संपादक शिवाकांत पाठक!



( एक ऐसी सजा जो  अप ने कभी नहीं सुनी होगी  )



(दिनांक – 13-11-2022 रुड़की के हरीश चांदना प्रकरण में एसएसपी ने दी अनोखी सजा, अंत्येष्टि में सहयोग करेंगे दरोगा और सिपाही )






युग बदलते हैं तौर तरीके बदलते हैं आचरण एवम् व्यवहार भी बदल जाते हैं लेकिन हर युग में ईश्वर की सत्ता पर विश्वास रखते हुए अपने फर्ज ,कर्तव्य निष्ठा एवं उत्तरदायित्वों का निर्वहन पूरी ईमानदारी के साथ करने वाले लोग नहीं बदलते ,,क्यों कि दृढ़ इक्षा शक्ति की बदौलत वे एक नया इतिहास रचते हैं ,, कुछ इसी प्रकार से आपको बता दें कि सेना में मेजर हनुमंत सिंह की चर्चाएं आज भारत में होती हैं होती रहेंगी जो




एक बड़े अधिकारी होने के बावजूद जमीन पर सोते थे और दिन में केवल एक बार भोजन करते थे वह भी स्वयं का बनाया हुआ भोजन साथ ही एओंज सैलरी अनाथाश्रमों को दान में दे देते थे ज्यादा तर पूजा अर्चना में समय देते थे लेकिन वर्ष 1971 में पाकिस्तान हिंदुस्तान की लड़ाई में उनके नेतृत्व करने के साहस , दूरगामी सोच से तमाम पाकिस्तानी सैनिकों को जान से हाथ धोना पड़ा उनके कई टैंक ब्लास्ट हो चुके थे , तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति ने मेजर हनुमंत सिंह की 17 P H को लाल डोरी प्रदान कर सम्मानित किया ,,, भारत ने उनकी वीरता पर महावीर चक्र प्रदान किया था तो पाकिस्तान सेना ने भी उन्हें फख्र—ए—हिन्द कहकर सम्मान दिया। उनकी वीरता का सम्मान करते हुए सेना ने उनके गांव में टैंक भेजा।

जिले के जसोल गांव के हणूतसिंह पूना हॉर्स रेजिमेंट में थे। 1971 के युद्व में पाकिस्तान की 48 टैंक की रेजिमेंट आगे बढ़ रही थी। सामने रणूतसिंह पूना हॉर्स रेजिमेंट को कमांड कर रहे थे जान की परवाह किए बिना आगे बढ़ गए और एक—एक कर पाकिस्तान के सभी 48 टैंक की पूरी रेजिमेंट को ही नस्तेनाबूद कर दिया। पाकिस्तान को जैसे ही यह पता चला कि पूरी टैंक रेजिमेंट खत्म हो गई तो शकरगढ़ पंजाब का इलाका छोड़ फौज पीछे हो गई।

श्रेष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल होने के एक संन्यासी बन गए 

भारतीय सेना के 12 सर्वश्रेष्ठ जनरल में हनुमंत सिंह का नाम फख्र के साथ भारतीय सेना लेती है। सेेना से 1991 में सेवानिवृत्त होने क बाद वे देहरादून में संन्यास आश्रम में रहे। 11 अप्रेल 2015 को उनका निधन हो गया।सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि आगे आपको बता दें कि हमारे देश में एक आई ए एस अफसर रिगज्यान सैंफिल हैं जिन्हें योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री ने विशेष सचिव के रूप में अपने साथ रखा रिगज्यान सैंफिल एक पैर से विकलांग हैं परन्तु उन्हें ईमानदारी ही प्रिय है वे फरियादियों को अपने पास बैठाया करते हैं अपनी जेब से तमाम गरीब लोगों की सहायता करने वाले आई ए एस अफसर रिगजियान सैंफिल जनता के लिए एक देवता हैं !




ठीक उसी तरह आज धरम नगरी हरीद्वार की सुरक्षा के लिए एक ऐसे अधिकारी को चयनित किया गया है जो कि भावनात्मक रूप से जनता की संवेदनाओं से जुड़े हुए हैं इसलिए एस एस पी अजय सिंह वही निर्णय ले रहे जैसा ईश्वर चाहता है ,, एक राजा अपनी प्रजा के दुख को तभी महसूस कर सकता जब जनता की भावनाओं को समझने का प्रयास करता है ,, भगवान राम ने राज्य के एक व्यक्ती के कहने पर अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी अर्धांगिनी मां सीता का परित्याग कर दिया मतलब अपने आप को भी सजा दी ताकि राजमार्ग दूषित न हो कलंकित न हो आज सारा विश्व राम के नाम को जनता है ,, यह तो अकाट्य सत्य है कि बिना प्रभु की इक्षा के पत्ता भी नहीं हिल सकता भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड उसी परम शक्ति द्वारा संचालित है तो फिर यह समझे कि धरम नगरी हरीद्वार में सिर्फ धरम ही रहेगा,, अन्याय अत्याचार, पाप नहीं रह सकता यह व्यवस्था ईश्वर ने ही की है ,, रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं कि,,, जस क्षण रघुपति जस करें तस क्षण तस मत होय !!


दिनांक 23-10-2022 को रेल की चपेट में आए मृतक का अज्ञात व्यक्ति के रूप में क्रियाकर्म करने तथा थाना स्तर से गुमशुदगी दर्ज करने में अनावश्यक देरी तथा बाद में अज्ञात शव की पहचान बतौर हरीश चांदना होने सम्बन्धी प्रकरण में एसएसपी हरिद्वार अजय सिंह द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की जिम्मेदारी एसपी ग्रामीण स्वप्न किशोर को दी थी।


जांच उपरांत एसपी ग्रामीण स्वप्न किशोर द्वारा प्रकरण कर्मियों में परस्पर संवाद की कमी, अज्ञात शव की पहचान के लिए पर्याप्त प्रयास न करने व अनजाने में लापरवाही बरतने का नतीजा बताया। बस इतना काफी था जिससे आम जन मानस में पुलिस को लेकर क्या संदेश गया होगा यह सोच कर  एसएसपी हरिद्वार द्वारा एसएचओ गंगनहर को अंजाने में हुई लापरवाही पर कड़ी फटकार लगाते हुए कोतवाली गंगनहर में तैनात उपनिरीक्षक नवीन सिंह व थाना कार्यालय में तैनात कांस्टेबल चेतन सिंह तथा संतोष को दिनांक 14-11-2022 व 15-11-2022 को क्रमशः खड़खड़ी घाट, सती घाट व चण्डीघाट पर आठ-आठ घंटे मौजूद रहकर आने वाले शवों के शवदाह में सहयोग करने का मानसिक/भावनात्मक/सामाजिक दण्ड दिया गया ताकि हरीश चांदना प्रकरण में बरती गई लापरवाही का कर्मियों को पश्चाताप हो व अपनी दिन-रात की नौकरी के बीच सामाजिक व्यवस्थाओं एवं उनमें अंतर्निहित भावनाओं को कर्मचारीगण समझें व भविष्य में ऐसी लापरवाही की पुनरावृति न हो।

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