मेरे देश के बच्चों डरना मत तुम हौंसला रखना!
स. संपादक शिवाकांत पाठक उत्तराखंड!
एक भावनात्मक विचार लेखनी द्वारा व्यक्त किया जा रहा है!
सच तो यही है कि हम सब दोषी हैं तुम्हारे !
जिस वक़्त तुम्हें स्कूल में होना था बंकरों में छुपना पड़ रहा है, हमें माफ़ मत करना बस क्यों कि वास्तव में हम सभी कसूर वार हैं , हमने अपनी ताकत के अभिमान ,अपनी जिद अपनी हैवानियत के बल पर देशों को जीता यह नहीं समझा कि उस जंग में हमने अपने जैसे कितने बहादुर जवान,खो दिए कितने घर वीरान कर दिए , कितने बच्चो के सर से उनके पिता का साया , कितनी मांगो का सिंदूर उजाड़ दिया साथ प्रकृति में युद्ध के दौरान कितना जहर घोल दिया जिसका परिणाम आने वाली पीढ़ियां हमेशा भुगतेगी , हम मनुष्य होकर भी मनुष्यता को आज हासिल नहीं कर पाए ! इतना सा एहसान करना कल को जब यह दुनिया तुम्हारे हाथों में हो , तो वे हाथ इसे सुंदर बनाने में खर्च हों माफ़ी माँगने में नहीं सभी मानव सभ्यता, मानव जाति से प्रेम हो,जो हांथ किसी आजादी छीनने के लिए नहीं अपितु एक दूसरे को सहारा देने के लिए उठें , बस यही अहसान मुझ पर कर देना मेरे राष्ट्र के भविष्य कहलाने वाले बच्चो तुम्हारी वास्तविक महा भयानक मुसीबत को हम समझ सकते हैं लेकिन तुम हिम्मत नहीं हारना, कभी भी नहीं , क्यों कि जो हिम्मत से काम लेता है ईश्वर उसी के साथ होता है तुम सभी निरपराध हो मैं जानता हूं यदि हमारे देश में समुचित शिक्षा व्यवस्था होती तो शायद तुम्हे दूसरे देशों भटकने की आवश्यकता नहीं थी हम यह भी जानते हैं कि तमाम मजबूरियों के कारण हमारे देश के भविष्य कहलाने वाले नौजवान बड़ी संख्या में दूसरे देशों में नौकरी करते हैं क्यों कि हमारे यहां अशिक्षित लोगों की आमदनी शिक्षित लोगों की तुलना में अत्यधिक है बस मैं अंत में सिर्फ इतना कहूंगा कि अपने आप को सुरक्षित रखते हुए अपने वतन में आने की कोशिश करें यदि दौड़ नहीं सकते, तो चलें, चल नहीं सकते तो घिसट कर अपनी मंजिल तक आने का जज्बा रखें साथ ही पूरा भरोसा उस ईश्वर पर रखें जो हर पल तुम पर नजर डालें हुए है इन्हीं शब्दों के साथ मैं पुन: आप सभी बच्चो से माफी चाहता हूं कि मैं चाह कर भी सभी की सोच नहीं बदल सकता !
जय जय भारत 🙏🙏🙏
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