मुझे नहीं आता है
लिखता तो हूँ। पर विवाद में पड़ना मुझे नहीं आता है
सीधी सच्ची बाते आती, गढ़ना मुझे नहीं आता है।
देखा है बहुतों को मैंने पल-पल रंग बदलते फिर भी
मुझे प्यार अच्छा लगता है, लड़ना मुझे नहीं आता है।।
लगातार चलना आता है, अड़ना मुझे नहीं आता है
फल पाने के लिए औरों के तरू पर चढ़ना मुझे नहीं आता है।
देखा औरों की टांगे खींच स्वयं बढ़ते बहुतों को।
पर धक्के दे गिरा किसी को बढ़ना मुझे नहीं आता है।।
रवि गुजराल दिल्ली 🙏
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