कब तक सुनते रहेंगे समाचारों में दुख की व्यथा
कभी निर्भया कांड कभी भंडारी अंकिता /
क्यूं होती है देश में माशूमों की दर्दनाक हत्या /
कब तक सुनते रहेंगे समाचारों में दुख की ब्यथा /
जागो मेरे देशवासियों मिलकर लिखेंगे दरिंदों की फांसी की कथा /
दरिंदों की मिलजुल कर लिखेंगे फांसी का इतिहास /
नां भटकेंगे कभी दरिंदे मां बहन बेटियों के आसपास /
जागो कसम खाओ नही देखेंगे बहन बेटियों का कफन ओढ़े लिबास /
आंदोलन ऐसा हो हिल जाए सरकार नहीं देखेंगे बहन बेटियों की लाश /
इस देवभूमि की माटी ना करो दरिंदों मटमैला /
इन मां बहन बेटियों ने यहां अपना बचपन खेला /
इन माशूमों की निरशंस हत्या कर खुद गुनाहों में धकेला /
सोच विचार करके देखो कभी रह जाओगे खुद अकेला /
रंजीत बर्तवाल की कलम से ,
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