उत्तराखंड एवम् हरीद्वार वासियों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!

 


अजय गर्ग वैष्णो ट्रेडर्स की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं





यशपालसिंह सैनी

9458382816

रामा कृष्णा ट्रेडिंग कंपनी

अनाज मंडी ज्वालापुर




चौथा दिन समर्पित है मां कूष्मांडा को




कुव्सित: उष्मा कूष्मा अर्थात त्रिविध ताप युक्त संसार जिनके उदस में स्थित है। वह देवी भगवती कूष्मांडा कहलाती हैं। यह मां का चौथा स्वरूप है। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अण्ड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अंधाकर ही अंधकार था, तब तो कूष्मांडा ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की। इसलिए यही सृष्टि का आदि स्वरूपा, आदि शक्ति हैं। इनके पहले ब्रह्मांड का अस्तित्व ही नहीं था।


क्या चढ़ाएं: भक्त अपनी बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार के लिए मां कुष्मांडा का मालपुआ अर्पित करना चाहिए।

ध्यान मंत्र: सुरा सम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।



पांचवा दिन समर्पित है मां स्कन्दमाता को

    


पांचवा दिन समर्पित है मां स्कन्दमाता को

छान्दोम्य श्रुति के अनुसार भगवती शक्ति से उत्पन्न हुए सनत्कुमार का नाम स्कन्द है। उनकी माता होने से स्कन्दमाता कहलाती है। भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। मां का यह रूप उदार और सन्हेशील है। इनकी उपासना नवरात्रि पूजा के पांचवे दिन होती है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में होता है। मां की गोद में भगवान स्कन्द जी बालरूप में बैठे रहते हैं।


क्या चढ़ाएं: केला देवी स्कंदमाता का प्रिय फल है।

ध्यान मंत्र: सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।


नवरात्र में राशि के अनुसार करें मां की पूजा, बन रहा है शुभ संयोग



छठवां दिन समर्पित है मां कात्यायनी को

    


छठवां दिन समर्पित है मां कात्यायनी को

देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए महर्षि कात्यायन के आश्रम पर प्रकट हुईं और महर्षि ने अपनी कन्या माना। इसलिए मां अपने इस रूप में कात्यायनी नाम से प्रसिद्ध हुईं। मां कात्यायनी फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिंदी यमुना के तटपर की थी। ये ब्रज मंडल की अधिष्टात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएं हैं। मां का दाहिनी ओर का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है।

क्या चढ़ाएं: भक्त देवी कात्यायनी को प्रसाद के रूप में शहद चढ़ाते हैं।

ध्यान मंत्र: चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानव घातिनी॥


    


सातवां दिन समर्पित है मां कालरात्रि को

सबको मारने वाले काल को भी रात्रि (विनाशिका) होने से उनका नाम कालरात्रि है। मां की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरफ काला है। सिर के बाल बिखरे हैं। गले में बिजली तरफ चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनसे बिजली के समान चमकीली किरणें निकलती हैं।

क्या चढ़ाएं: कष्टों, बाधाओं से मुक्ति और खुशियां लाने के लिए देवी कालरात्रि को प्रसाद के रूप में गुड चढ़ाएं।

ध्यान मंत्र: एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी लाभ्यक्तशरीरिणी।।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि।।


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आठवां दिन समर्पित है मां महागौरी को

कठोर तपस्या के माध्यम से मां ने महान गौरव प्राप्त किया था, इसलिए मां के इस रूप में महागौरी कहलायीं। मां दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर है। इनकी गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। इनके समस्त वस्त्र व आभूषण आदि भी श्वेत हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनका दाहिना हाथ अभय मुद्र में और नीचे वाला दाहिने हाथ में त्रिशुल है। ऊपर वाले बायें हाथ में डमरू और नीचे के बायां हाथ वर मुद्रा है। इनकी मुद्रा शांत है।

क्या चढ़ाएं: देवी महागौरी को भक्तों द्वारा नारियल चढ़ाया जाता है।

ध्यान मंत्र: श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेतांबर धरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा।।


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