कलम का दर्द ,,,,,,,
कुछ दर्द अपने दिल से लगाने के लिए हैं !
जो लिख दिए जाते हैं दिखाने के लिए हैं !!
दिखते नहीं है अश्क जो कि पी लिए जाते!
जो बहते हैं आंखों में दिखाने के लिए हैं !!
जो कह दिया जाता है उसे झूठ ही समझो !
सच तो यही है सच भी छिपाने के लिए है !!
जिस लेखनी के दर्द को समझा नहीं कोई !
वह जख्म लेखनी को छुपाने के लिए है !!
जो हो गए शहीदे वतन ,लोग कौन थे !
अब सिर्फ वो जुबां से बताने के लिए हैं !!
वो झूठ बोलता रहा तुम देखते रहे !
ये दौर तुमको सबक सिखाने के लिए है !!
कुछ दर्द अपने दिल से लगाने के लिए हैं !
जो लिख दिए जाते हैं दिखाने के लिए हैं !!
रचनाकार
आपका अपना
संपादक शिवाकांत पाठक हरीद्वार उत्तराखंड
संपर्क सूत्र 📲9897145867
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