महिला आज भी है पुरुष समाज से उपेक्षित


 प्रिया त्यागी,हरिपुर कलां, हरिद्वार।* स . संपादक शिवाकांत पाठक ! समाचारों के लिए संपर्क करें 9897145867

प्राचीन  काल  में पुरुष प्रधान  समाज पाया जाता था , महिलाओ के प्रति  अनेको  अत्याचार  किये  जाते थे , बहुत सी रूढ़िवादी  परंपरा  और अंधविसश्वास  मौजूद  था जिसका  शिकार  अनेको महिलाए बनती  थी । पहले लड़कियों की बहुत ही कम उम्र में शादी क़र दी जाती थी , जिसके बाद उसका नाम भी बदल दिया जाता था ।  महिलाओ को पड़ने लिखने  और अपने फैसले  खुद लेने का भी अधिकार  नहीं था ।  सती प्रथा  , पर्दा  प्रथा , दहेज़ प्रथा जैसी अनेको प्रथाए  समाज में मौजूद थी जिनमे  से कुछ तो खत्म हो चुकी है लेकिन कुछ आज भी महिलाओ की तरक्की में काटा  बनकर  चुभती  है ....

मेरा नाम प्रिया त्यागी है ,जैसा की आप नाम से समझ गए होंगे  मै भी एक ब्राह्मण लड़की हु क्युँकी मेरे पिता भी एक ब्राह्मण है , मै आज इस 21वी सदी में हु और आशा करती हुँ आप भी यही है ।

आज हमारे ब्राह्मण समाज में वो सब बुराइया  लगभग खत्म हो चुकी है लेकिन मैं इस समाज के एक ऐसे हिस्से से सम्बन्ध रखती हुँ जहाँ आज भी मुझसे सवाल किये जाते है क्युकी मैं सामान्यतः  ब्राह्मण लड़कियों की तरह खूबसूरत नहीं हु मैं सावली हु । मुझसे अक्सर पूछा जाता है ...ब्राह्मण लड़किया तो गोरी होती है तुम सावली क्यों हो ? मैं समाज के एक ऐसे हिस्से से हु जहाँ मुझे ब्राह्मण होने पे गर्व भी होता है और अफ़सोस भी ....

मुझे गर्व होता है क्युकी आज भी लोग मुझे अपने अच्छे कामो में शामिल  करना शुभ मानते  है ,मेरा सम्मान करते है .....

लेकिन अफ़सोस भी होता है जब मेरे और मेरी सहेलियों  के पिता  जो  की ब्राह्मण है , बेटियों को व्याहने  के लिए दिन रात चिंतित  रहते है क्युकी आज आज भी एक हिस्सा ऐसा है जहा शादिया  दहेज से होती है , जहा लड़किया सिर्फ एक वास्तु  मात्र है , जहाँ दहेज के लिए लड़कियों को परेशान भी किया जाता है .....मैं इसी भूमिहार समाज की बात क़र रही हु जहाँ आज भी एक हिस्से में महिलाओ की भूमिका नगण्य  है

जहा एक तरफ भूमिहार यानी  बाभन और  ब्राह्मण समाज में औरते पूजनीय मानी  जातीं है और आज की सदी में हर मुकाम हासिल  क़र रही है वहीँ दूसरी तरफ लड़कियों को पढ़ाया  जाता है ताकि  उन्हें अच्छा  लड़का मिल सके , शादी के बाद उनके पड़ने लिखने और काम करने पर रोक लगा दी जाती है , इस समाज में महिलाए केवल  एक वस्तु  और दहेज़ प्राप्त  करने का साधन  बनकर रह गयी है ......

राजनीति जैसी जगहों  पर सायद ही या बहुत ही कम भूमिहार महिलाये  देखने को मिलती है । शहरी इलाको  में काफी  हद  तक  बदलाव  आया है लेकिन ग्रामीण  इलाको में अभी भी बदलाव  की जरूरत है ....

हमारे समाज में महिला अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक एक अहम किरदार निभाती है। अपनी सभी भूमिकाओं में निपुणता दर्शाने के बावजूद आज के आधुनिक युग में महिला पुरुष से पीछे खड़ी दिखाई देती है। पुरुष प्रधान समाज में महिला की योग्यता को आदमी से कम देखा जाता है।


सरकार द्वारा जागरूकता फ़ैलाने वाले कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद महिला की जिंदगी पुरुष की जिंदगी के मुक़ाबले काफी जटिल हो गयी है। महिला को अपनी जिंदगी का ख्याल तो रखना ही पड़ता है साथ में पूरे परिवार का ध्यान भी रखना पड़ता है। वह पूरी जिंदगी बेटी, बहन, पत्नी, माँ, सास, और दादी जैसे रिश्तों को ईमानदारी से निभाती है। इन सभी रिश्तों को निभाने के बाद भी वह पूरी शक्ति से नौकरी करती है ताकि अपना, परिवार का, और देश का भविष्य उज्जवल बना सके।

प्राचीन काल से ही इस पुरुष प्रधान समाज में नारी  को उसके अधिकारों  के लिए छला  गया है .............उसे  इस समाज में अपना वर्चस्व  स्थापित  करने के लिए अनेको मुस्किलो  का सामना  करना पड़ा है ......



      मेरे विचार

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नारी और पुरुष इस संसार की दो सुन्दर  रचनाए  है दोनों में से किसी के बिना भी संसार या किसी समाज की कल्पना संभव  नहीं है , चाहे  कोई भी समाज या कोई भी बिरादरी कोई भी वर्ग  हो उसका विकास  तभी संभव है जब ये दोनों साथ मिलकर कार्य करे  यदि  कोई भी कमजोर हो जाए तो आप सूंदर भविस्य  की कल्पना नहीं कर सकते ।

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Comments

  1. Bilkul motivate story hai aur read kar ke bada maja aaya.. Thank you priya ji..

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