नवोदय नगर में धूम धाम से मनाया गया श्री गणेश जन्मोत्सव!
( गणेश एंक्लेव राम मंदिर के पास पूजन के बाद बच्चो ने किया डांस )
संपादक शिवाकांत पाठक!
नवोदय नगर के गणेश एंक्लेव में कमेटी के लोगों के प्रयास से गणेश जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया गया सर्व प्रथम राम मंदिर के पुजारी श्री शास्त्री जी द्वारा वेद मंत्रो से पूजन किया गया इसके पश्चात बच्चो की डांस प्रतियोगिता संपन्न हुई छोटे छोटे बच्चो ने इतना मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया कि लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन गया तालियों की गड़गड़ाहट की गूंज से इलाका गूंज उठा यह कार्यक्रम प्रति वर्ष की भांति आयोजित किया गया जिसमें की तमाम युवा पीढ़ी ने भागीदारी दिखाई भगवान शंकर के प्रिय पुत्र गणेश जन्मोत्सव को नवोदय नगर के गणेश एंक्लेव में माताओं बहनों एवम् युवा वर्ग के लोगों के विशेष प्रयास से सम्पन्न किया जाता है लोगो का मानना है कि भगवान गणेश के पूजन अर्चना व वेद मंत्रो द्वारा विधिवत पूजन के साथ जन्मोत्सव मनाने से वर्ष भर शांति कायम रहती है !
गणेश जी के जन्म का उत्सव पूरे 10 दिनों तक चलता है. गणेश चतुर्थी से प्रारंभ हुआ उत्सव 10वें दिन अनंत चतुर्दशी को मूर्ति विसर्जन के साथ समाप्त होता है. इस दौरान आप पूजा, मंत्र जाप और ज्योतिष उपायों से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पा सकते हैं.
गणेश जी की पूजा कैसे करें👇
आज गणेश जी की पूजा करते समय आप उनको दूर्वा, अक्षत, मोदक, सिंदूर, चंदन, वस्त्र आदि जरूर अर्पित करें. गणेश जी को मोदक प्रिय है, इसलिए यह भोग में जरूर होना चाहिए!
पूजा में तुलसी वर्जित
गणेश जी की पूजा में तुलसी का उपयोग न करें क्योंकि गणेश जी ने तुलसी को श्राप दिया था. जब क्षमा याचना की तो गणपति बप्पा शांत हुए लेकिन अपने पूजा में उनको स्वीकार नहीं किया.
आज आप गणेश जी के 108 नामों का स्मरण करके या उनके मंत्रों का जाप करके अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं.
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किस तरह के गणपति की करें स्थापना? वामावर्ती या दक्षिणावर्ती सूंड वाली मूर्ति
गणेश चतुर्थी पर बाएं तरफ सूंड वाली गणेश प्रतिमा को ही घर लाना चाहिए. असल में ऐसा माना जाता है कि बाएं तरफ सूंड वाले भगवान गणेश वामावर्ती गणपति कहलाते हैं. इनकी पूजा सामान्य तरीके से की जा सकती है. इनकी पूजा में बहुत मंत्र या विधि का ध्यान रखने की बाध्यता नहीं होती है. आम जनमानस आसानी से पूजा संपन्न कर सकता है, वहीं दक्षिणावर्ती सूंड वाले गणेश जी की पूजा विधि विधान से करना अनिवार्य है. यह सामान्य लोगों के लिए कठिन काम है, इसलिए हमेशा वामावर्ती सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करने को कहा जाता है.!
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