श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! सचिन त्यागी!
संपादक शिवाकांत पाठक !
एक भेंट के दौरान सचिन त्यागी ने कहा कि सर्व प्रथम मैं सभी देश व प्रदेश वासियों के साथ साथ हरीद्वार नवोदय नगर की जनता को महान योगी सोलह कलाओं से युक्त साक्षात ईश्वर श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान करता हूं साथ ही श्री त्यागी ने कहा कि लोगों को मामूली खर्च पर आशियाना बना कर देना मेरा व्यापार नहीं वल्कि जनता के हर सुख दुख में भागीदारी निभाना मेरा फर्ज है और जनता कभी भी मुझे आवाज देकर देख ले मैं हर पल हर सख्स के साथ हूं और रहूंगा क्यों कि वास्तव में जन सेवा से बड़ा कोई भी धर्म नहीं है और संकट के समय ही अक्सर लोग भगवान को याद करते हैं सुख में शायद ही कोई याद करता हो !
प्राण-संकट आने पर संकट दूर करने के लिए केवल भगवान को पुकारते हैं, कष्ट का निवारण केवल भगवान से ही चाहते हैं, दूसरे किसी से नहीं, वे आर्त भक्त कहलाते हैं। आर्त भक्तों में द्रौपदी और गजेन्द्र का दृष्टांत ठीक नहीं लगता है क्योंकि इन दोनों ने अपनी रक्षा के लिए अन्य उपायों का भी सहारा लिया था। चीर-हरण के समय जब तक द्रौपदी भीष्म पितामह और पांचों पांडवों (पंच पतियों) पर भरोसा करती रही, तब तक वह रोती-बिलखती और कष्ट पाती रही। परंतु जब सब सहारा छोड़कर अनन्य भाव से प्रभु को पुकारा तब प्रभु ने उसकी लाज बचाई। ऐसे ही गजेंद्र ने जब तक दूसरे हाथियों और हथिनियों का सहारा लिया, अपने बल का सहारा लिया, तब तक वह कई वर्षों तक ग्राह से लड़ता रहा और दुख पाता रहा। सब सहारा छूटने के बाद जब ‘ॐ नमो भगवते’ कहकर हरि को पुकारा तब भगवान ने तुरंत आकर ग्राह का मुँह फाड़ दिया और गजेंद्र का उद्धार किया। भागवत महापुराण में शुकदेव जी कहते हैं
“ग्राहात् विपाटित् मुखादरिणागजेन्द्रं संपश्यतां हरिरमूमुचदुस्त्रियाणाम्”
आर्त भक्तों में अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा का दृष्टांत सही लगता है। कारण कि जब उस पर आफत आई, तब उसने भगवान श्रीकृष्ण के सिवाय किसी दूसरे उपाय का सहारा नहीं लिया उसने सीधे भगवान से निवेदन किया----
पाहि पहि महायोगिन्देवदेव जगत्पते
नान्यं त्वदभयं पश्ये यत्र मृत्यु: परस्परम्।।
हे जगतपति! यह दहकता हुआ अश्वत्थामा का बाण मेरे गर्भ को नष्ट करने के लिए दौड़ा आ रहा है, मेरी रक्षा करें। तुरंत उत्तरा के गर्भ में प्रविष्ट होकर भगवान ने गर्भ की रक्षा की और परीक्षित को बचाया।
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