यदि सुख शांति चाहते हो तो ईश्वर से प्रेम करो ! प्रमोद जैसवाल !
रिपोर्ट मुकेश राणा उत्तराखंड!
एक भेंट के दौरान समाज सेवी धार्मिक प्रवित्त के धनी प्रमोद जैसवाल ने कहा कि ,वह प्रभु अत्यंत दयालु और कृपालु है। संसार के रिश्ते-नाते मनुष्य को दुखी बनाते हैं, लेकिन जो एक बार अपना रिश्ता परमात्मा से जोड़ ले वह कभी दुखी नहीं हो सकता। उसकी शरण में रहकर मनुष्य अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। उसकी आज्ञाओं का पालन कर जीवन को नियम में जीना भी ईश्वर को बहुत पसंद है। उससे जुड़ने के लिए उसे हमेशा अपने हृदय मंदिर में बसाएं!
वह धन का नहीं भाव का भूखा होता है। ईश्वर भक्ति से प्रसन्न होते हैं, चढ़ावे से नहीं।
प्रेम में, भाव में और भक्ति में बड़ी शक्ति होती है। ऐसे में यदि कोई भक्त मन से परमात्मा के समीप रहे तो उसमें भी नैतिक व सात्विक गुण उत्पन्न होने लगते हैं। व्यक्ति उदार चरित्र वाला बन जाता है। वह संकुचित मानसिकताओं से ऊपर उठने लगता है। वह स्वयं के अस्तित्व को समझकर जीवन को ऊंचाई की तरफ बढ़ाता है। वह आत्म-स्वरूप में स्थित होकर शांत चित्त वाला होता है। वह जान जाता है कि प्रभु को निर्मल मन वाले व्यक्ति ही प्रिय होते हैं। वह सदैव अहंकार आदि दुगरुणों से दूर हटकर मानवीय सेवा में तत्परता से जुट जाता है। मन में यदि हमेशा उसके नाम का भाव बना रहे तो उसकी कृपा बरसती है। उसे चालाकी बिल्कुल पसंद नहीं। भक्त जो भी करता है, प्रभु को समर्पित करता है। वह परमपिता परमेश्वर तो सर्वत्र है-हममें ही बसा है-बस आंख उठाकर झांकने भर की देर है। जहां भक्ति है वहां शक्ति है। जो ईश्वर भक्त है वह अपने साथ-साथ औरों का भी का भला करता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को अपनाया, अहंकार के प्रतीक दुर्योधन को नहीं। जीवन का एकमात्र सहारा, विश्राम स्थल वह प्रभु ही है। हम हैं कि दुनियादारी में फंसकर रह गए हैं। आज से उसके नाम संकीर्तन व जप का सहारा लेना शुरू कर दीजिए। तभी यह मानव जीवन सफल होगा।
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