अपने लिए जिए तो क्या जिए जी ऐ दिल जमाने के लिए !नवोदय नगर हरीद्वार !
संपादक शिवाकांत पाठक!
( सच्ची लगन और मेहनत किसी पहचान की मोहताज नहीं होती )
फोटो में को शख्स आपको दिखाई दे रहे हैं वे अपना मकान नहीं बना रहे हैं ये वो लोग हैं जिन्हें आपने किसी समय पसंद नहीं किया क्यों कि ये लोग दिखावा नहीं बल्कि सभी के लिए सच्चे मन से सेवा भाव रखते हैं और आज का समाज दिखावा चाहता है चलो थोड़ी देर के लिए आप मान लें कि यह सब झूठ है क्यों कि सच अक्सर कड़ुआ होता है ,, तो फिर सच क्या है आप ही बताइए कड़ी धूप में यह दोनों लोगों के साथ बिनोद रावत , अनुज पंडित ,यशपाल गुसाई, आखिर कर क्या रहे हैं तो स्पष्ट है कि बीते दिनों आई जल आपदा में कुछ मकान जो ढहने की कगार पर पहुंच चुके हैं जिन्हें खाली कर लोग पलायन कर गए दूसरी जगह रहने लगे उनके मकानों को बचाने की कोशिश में ये लोग धूप नहीं देख रहे इनका बदन पसीने से लथपथ है लेकिन निस्वार्थ सेवा भाव ही ईश्वर की सच्ची उपासना है यह तो गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि निष्काम कर्म योग ही मेरी प्राप्ति का सच्चा साधन है परोपकार के लिए सदैव तत्पर रहने वाले दीपक नौटियाल समाज सेवी चैयर मेन प्रतिनिधि, महावीर गुसाईं अध्यक्ष पर्वतीय बंधु समाज सिर्फ इसलिए मेहनत कर रहे हैं ताकि काश ये मकान बच सके !
किसी ने ठीक ही कहा है कि👇
क्या मार सकेगी मौत उसे ,औरों के लिए जो जीता है!
मिलता है जहां का प्यार उसे, औरो के जो आंसू पीता है!!
जैसे पुष्प (फूल ) का अपना कुछ नहीं होता एक कवि ने लिखा भी है 🖊️👇
पुष्प की अभिलाषा👇
चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाल जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जावें वीर अनेक
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