पुलिस का मानवीय परिदृश्य आशूं नहीं रोक पाएंगे आप!
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
रिपोर्ट्स मुकेश राणा उत्तराखंड,,पुलिस फरियाद नहीं सुनती पुलिस सुरक्षा व्यवस्था ठीक से नहीं करती यह सब कहने में देर नहीं लगाते लोग,लेकिन पुलिस का मानवीय चेहरा शायद आपकी सोच से परे रहता पुलिस के अंदर छिपी इंसानियत की तस्वीर आपके सामने है इन बच्चों का दर्द हमने आपने कहां समझ पाया तभी तो ये सीधे थाने में पहुंचे अपनी व्यथा अपनी पीड़ा को लेकर क्यों कि जिसे आप समाज कहते हैं वह समाज ना जाने कितने जख्म अपनों को देती है उन जख्मों का दर्द केवल वर्दी में छिपे भगवान ही समझ सकते हैं! आज रक्षा बंधन के दिन एक पति पत्नी का जोड़ा लड़ झगड़ कर थाने आया उनके साथ उनका बेटा और बेटी भी साथ थे , पति - पत्नी मजदूर वर्ग के थे । पति ने सुबह से शराब पी कर पत्नी के साथ मारपीट कर दी जब उसके बेटे से मेरे द्वारा पूछा गया कि आज तो राखी है तो तुमने राखी क्यों नही बंधवाई तो उसने ऐसा जवाब दिया की आंखों में आंसू आ गए , बोला पापा ने शराब पी ली और मम्मी को मारा और ना राखी ले आये और ना ही मिठाई इतना कहते ही दोनो भाई बहन रोने लगे उसके बाद मेरे द्वारा बाजार से राखी और मिठाई मंगवा कर बिटिया से उसके भाई को राखी बंधवायी और मिठाई भी खिलाई गई । दोनो बहुत खुश हुए , ये देखकर जो खुशी की अनुभूति हुई उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता ।
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