राघव कैसे तुम्हे मनाऊं* 🙏🙏🖊️🖊️🙏🙏
दर्पण स्वक्ष दिया था तुमने, मैला दर्पण किसे दिखाऊं !
अपनी पीड़ा किसे सुनाऊं ? राघव कैसे तुम्हे मनाऊं 🙏
पैदा होने से पहले ही तूने मां का दिया सहारा !
अन्धकार था गर्भकाल में तब तूने ही हमें उबारा !!
दांत नहीं थे जब मुंह में,, मां के आंचल में दूध दिया है!
कदम कदम पर मुझ पर राघव तुमने बस अहसान किया है !!
फिर भी भूल गया मैं तुझको किस मुंह से मैं तुझे बुलाऊं !
राघव कैसे तुम्हे मनाऊं ?
राघव कैसे तुम्हे मनाऊं,,,,?
तेरी माया के बंधन में अब तुझको ही भूल गया हूं !
धन, वैभव, पद, मान प्रतिष्ठा के कारण मैं फूल गया हूं !!
जीवन मृत्यु तुम्हारे बस में, मैं क्या जानूं जीवन क्या है ?
एक बूंद मैं ,, तू सागर है जो भी है तेरी माया है !!
अपराधी हूं तेरा रघुवर इसके आगे क्या बातलाऊं ?
राघव कैसे तुम्हे मनाऊं, राघव कैसे तुम्हे मनाऊं ???🙏🙏🙏
रचना कार = स. संपादक शिवाकांत पाठक वी एस इन्डिया न्यूज चैनल दैनिक साप्ताहिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परिवार ,, संपर्क📲9897145867
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