पत्रकार नावेद पर झूठे मुकदमे को लेकर तुरंत एक्शन मूड में आए उमेश शर्मा साहस को नमन! टिहरी ।
(लाठियों के घाव भर जाएंगे जनाब लेकिन कलम जो इतिहास रचेगी उसे कई पीढ़ियां याद रखेगी )
संपादक शिवाकांत पाठक!
(प्रशंसा के लिए शब्द भी निः शब्द सराहनीय प्रयास)
हरिद्वार के पत्रकार नावेद अख्तर को जेल में बुलाकर साजिशन जानलेवा हमला करने के आरोपों से घिरे अनुराग मलिक को राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से टिहरी जेल से विदा कर दिया । इस संबंध में शासन ने शुक्रवार की देर शाम आदेश जारी कर दिए । नावेद को फोन कर जेल में बुलाने और फिर उसके साथ मारपीट करते हुए सरकारी कार्य में बाधा डालने जैसे झूठे आरोप लगाकर पुलिस को सौंपने की घटना का पुष्कर धामी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कड़ा संज्ञान लिया गया है । गौरतलब है कि गत 24 अगस्त को टिहरी जिला जेल में नावेद के साथ हुई बर्बरता पूर्ण कार्रवाई के विरुद्ध वरिष्ठ पत्रकार / विधायक उमेश कुमार द्वारा लगातार अधीक्षक अनुराग मलिक के ख़िलाफ़ कार्रवाई को लेकर आवाज उठाई जा रहीं थी । बाद में जनपद के ज्वालापुर ग्रामीण विधायक रवि बहादुर व पिरान कलियर विधायक फुरकान अहमद सहित जनपद की तमाम सामाजिक संस्थाएं नावेद का उत्पीड़न करने वाले जेल अधीक्षक अनुराग मलिक के खिलाफ कार्रवाई किए जाने तथा मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग को लेकर मुखर हो गई थी । लेकिन अभी भी बड़ा सवाल यह उठता है कि ? नावेद के साथ मारपीट करने व साजिश के तहत नावेद को जेल बुलाने वाले बंदी रक्षकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कब होगी ?
पत्रकार नावेद अख्तर को फोन कर जिला कारागार टिहरी बुलाया गया था । जिसके बाद अधीक्षक व बंदी रक्षकों द्वारा पत्रकार नावेद अख्तर के साथ मारपीट , गाली - गलौज कर जानलेवा हमला किया गया था । जिसके बाद टिहरी पुलिस को गुमराह कर अधीक्षक व प्रभारी जेलर द्वारा नावेद के ख़िलाफ़ झूठा मुकदमा लिखाया गया था ।
मामले की सूचना के बाद वरिष्ठ पत्रकार / विधायक उमेश कुमार द्वारा अधीक्षक व बंदी रक्षकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई को लेकर आवाज उठाई जा रहीं थीं । जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा मामले की गंभीरता को समझते हुए अधीक्षक अनुराग मलिक को टिहरी जिला कारागार से हटा दिया गया है । जिस प्रकार खानपुर विधायक उमेश कुमार ने नावेद के साथ जेल प्रशासन टिहरी जिला जेल द्वारा की गई बर्बरता पूर्ण कार्रवाई को लेकर आवाज उठाई उससे यह भी तय माना जा रहा है कि जल्द ही आरोपी अधीक्षक और बंदी रक्षकों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू होने के साथ - साथ टिहरी पुलिस मुकदमा भी दर्ज कर सकती है ।
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